मप्र सरकार का बड़ा फैसला, अब प्लास्टिक उत्पादक कंपनियों को ही plastic waste disposal की जिम्मेदारी
भोपाल
पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में प्लास्टिक की एक बड़ी भूमिका है, वैज्ञानिक से लेकर सभी वर्ग इसे लेकर चिंतित है और इसके विकल्प, निष्पादन आदि पर काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी इसे लेकर एक अहम फैसला लिया है।
ये है सरकार का फैसला
मध्य प्रदेश के पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने पर्यावरण विभाग और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि मध्य प्रदेश में अब प्लास्टिक वेस्ट से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्लास्टिक उत्पादक कंपनियों को ही निष्पादन (plastic waste disposal) की जिम्मेदारी दी गई है। पर्यावरण मंत्री ने बताया कि यह कम्पनियां निष्पादन कंपनी को अनुबंधित करेंगी। दोनों का शासकीय पंजीयन होगा और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निगरानी रखी जायेगी। बैठक में मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव चन्द्र मोहन ठाकुर, एप्को के कार्यकारी निदेशक एम आर खान और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रबंध संचालक कर्मवीर शर्मा मौजूद थे।
“विवाद से विश्वास” योजना की ये है फायदे
मंत्री श्री डंग ने बताया कि उद्योगों को 30 दिन के अंदर एनओसी जारी की जा रही है। कोई भी प्रकरण लंबित नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्राप्त होने वाली स्थापना सम्मति, उत्पादन सम्मति और सम्मति नवीनीकरण इत्यादि का निपटारा तुरंत किया जा रहा है। ऐसे उद्योग और संस्थान, जिन्होंने जानकारी के अभाव में बोर्ड से सम्मति या प्राधिकार प्राप्त नहीं किया है, ‘विवाद से विश्वास’ योजना में आवेदन करने पर न्यायालयीन कार्यवाही न करते हुए उन्हें सम्मति प्रदान की जा रही है।
नदियों के प्रदूषण पर गहरी निगरानी
प्रदेश की 85 नदियों और उनकी सहायक नदियों की जल गुणवत्ता का मापन सतत किया जा रहा है। नदियों को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त रखने ‘शून्य निस्त्राव’ की नीति लागू है। मंत्री डंग ने ‘अंकुर कार्यक्रम’, ‘सीएम राइज स्कूल’, ‘बायोस्फियर रिजर्व’ योजना, राष्ट्रीय जलीय स्त्रोत संरक्षण कार्यक्रम में दतिया के सीता सागर तालाब, शिवपुरी झील, रतलाम के अमृत सागर तालाब, धार के मुंज, धूप और देवी सागर, शिवना नदी संरक्षण कार्यों की भी समीक्षा की।