NDP और जगमीत के बहिष्कार के लिए कनाडा में भारतवंशी हिन्दूओं ने शुरू की मुहिम
जालंधर
कनाडा में खालिस्तानी एजेंडे के खिलाफ अब भारतवंशी हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया है। हालांकि कनाडा की संसद में हिन्दू मेंबर आफ पार्लियामेंट्स की संख्या आबादी के लिहाज से कम है लेकिन अब हिन्दू समुदाय के लोग प्रेशर ग्रुप बना कर खालिस्तानी समर्थकों पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं। पिछले दो महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब हिन्दुओं ने राजनीतिक रूप से संगठित हो कर सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया है।
पिछले महीने खालिस्तानी आतंकवादी गुरु पतवंत पन्नू द्वारा खालिस्तान को लेकर करवाए गए रेफरेंडम का भारतवंशी हिन्दुओं ने खुल कर विरोध किया था और अब भारत को जी 20 की मेजबानी मिलने पर कनाडा की सरकार में सहयोगी एन डी पी द्वारा भारत का बहिष्कार किए जाने के लिए कनाडा सरकार पर दबाव बनाने के बाद हिन्दुओं ने कनाडा में बायकाट एन डी पी मुहीम शुरू कर दी है।
एन डी पी के प्रमुख जगमीत सिंह हैं जो खालिस्तान समर्थक हैं और यह पार्टी कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रुडो की सरकार का समर्थन कर रही है लेकिन 4 दिन पहले जैसे ही इस पार्टी के प्रमुख जगमीत सिंह ने कनाडा के प्रधान मंत्री पर भारत में हो रहे जी 20 सम्मेलन का बहिष्कार करने का ऐलान किया तो भारतवंशी हिन्दुओं ने एन डी पी के बायकाट की मुहिम शुरू कर दी है।
कनाडा में हिन्दुओं की आबादी ज्यादा , सांसद कम
कनाडा में हिन्दुओं की आबादी करीब 8 लाख 28 हजार है और यह कनाडा की कुल आबादी का 2.3 प्रतिशत हैं। पिछले बीस साल में कनाडा में हिन्दुओं की आबादी में 1.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2001 की आबादी के आंकड़ों के मुताबिक कनाडा में हिन्दुओं की आबादी महज 1 प्रतिशत थी और यह 2021 में बढ़ कर 2.3 प्रतिशत हो गई।
कनाडा में भारत के गुजरात, पंजाब, दिल्ली , महाराष्ट्र , कर्नाटक आदि राज्यों के हिन्दू बसे हुए हैं इनके अलावा नेपाली और तमिल हिन्दू भी हैं और यह हिन्दू राजनीतिक रूप से एकजुट नहीं है इसी कारण हिन्दुओं का प्रतिनिधत्व कनाडा की संसद में कम है। इसके विपरीत कनाडा में सिखों की आबादी 2.1 प्रतिशत है पिछले बीस साल में कनाडा में सिखों की आबादी भी 1.2 प्रतिशत बढ़ी है। 2001 में कनाडा में सिखों की आबादी महज कुल आबादी का 0.9 प्रतिशत थी।
हालांकि आबादी के लिहाज से सिखों की संख्या हिन्दुओं के मुकाबले कम है लेकिन इनकी आबादी सघन होने और राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के कारण कनाडा की संसद में इनका प्रतिनिधित्व काफी बढ़ा है। पिछले संसदीय चुनाव में कनाडा में 16 पंजाबी सांसद चुने गए हैं और इनमे से चार कनाडा की सरकार में मंत्री हैं जबकि अनीता आनंद के रूप में इकलौती हिन्दू मंत्री है।
पिछले महीने कनाडा में हिन्दू समूहों ने एकजुट हो कर ब्रेम्पटन और मिसिसागा में करवाए गए खालिस्तान रेफरेंडम के खिलाफ मुहिम चलाई थी और इसका जम कर विरोध किया था। इस से पहले कनाडा में हिन्दू खुले तौर पर खालिस्तानी एजेंडे के खिलाफ मुखर नहीं हो रहे थे लेकिन अब हिन्दुओं ने न सिर्फ मुखर होना शुरू किया है बल्कि इस एजेंडे का समर्थन करने वाले नेताओं के खिलाफ भी मुखर हो रहे हैं।
हाल ही में कनाडा में मनाए गए हिन्दू हेरिटेज महा के दौरान भी हिन्दुओं को एकजुट करने की आवाज़ उठी थी। कर्नाटक से से संबंध रक्खणे वाले भारतीय मूल के हिन्दू सांसद चंद्र आर्य ने कनाडा की संसद में हिन्दू हेरिटेज माने जाने को लेकर आवाज़ उठाई थी और कनाडा में पहली बार हिन्दू हेरिटेज माह मनाया जा रहा है।
जगमीत बराड़ ने अपने राजनीतिक हितों के लिए एन.डी.पी. को हाईजैक कर लिया है और वह अपने खालिस्तानी समर्थक वोटरों को एकजुट करने के लिए भारत में हो रहे जी-20 सम्मेलन का बहिष्कार करने के लिए कनाडा की सरकार पर दबाव बना रहा है। लेकिन जगमीत बराड़ को यह समझना चाहिए कि वह कनाडा जैसे देश में लोगों में धार्मिक विभाजन करके एक अच्छा नेता नहीं बन सकता।
जगमीत कनाडा में खुलेआम उन लोगों के साथ घूमता है, जो भारत की अदालतों और कानून की नजर में अपराधी हैं। यह सारा ड्रामा खालिस्तान समर्थकों के वोट को एकजुट करने के लिए है और इसी के खिलाफ कनाडा में रह रहे भारत के हिंदु आवाज उठा रहे हैं और एन.डी.पी. और जगमीत बराड़ का बहिष्कार किया जा रहा है।