September 26, 2024

आपस में बनती नहीं और बनाने चले मोर्चा, ये 3 दल भाजपा या कांग्रेस किसे चैलेंज देंगे

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नई दिल्ली
तमाम विधानसभा चुनावों के बीच 2024 लोकसभा को लेकर चर्चाएं कम नहीं हैं। अगामी आम चुनाव खास होने की भी संभावनाएं हैं, क्योंकि क्षेत्रीय दलों के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय जनता पार्टी की चुनौतियां बढ़ सकती हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों का उदय कांग्रेस की चिंताएं भी बढ़ा सकता है। अब सवाल है कि लोकसभा चुनाव में असल चुनौती का सामना कौन करेगा, भाजपा या कांग्रेस?

साल 2019 का लोकसभा चुनाव मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच लड़ा गया, जहां दोनों दलों ने 400 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। एक ओर जहां भाजपा के खाते में 303 सीटें आई। वहीं कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं। हालांकि, उस चुनाव में भी आप ने 1, टीएमसी ने 22 और टीआरएस ने 9 सीटें जीतकर मौजूदगी दर्ज कराई थी।

BJP के लिए कैसे चुनौती
2024 चुनाव के लिए लगभग सभी दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। इनमें भी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद टीएमसी ने दिल्ली की ओर देखना शुरू कर दिया था। पार्टी के नेता भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बताने लगी थी। पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव समेत कई मौकों पर राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश भी की। पार्टी सुप्रीम बनर्जी भी सोनिया गांधी समेत कई दिग्गजों से मिलीं।

इधर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी राज्य की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय नेता बनने की तैयारी कर रहे हैं। शुक्रवार को उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति बनने जा रही है। भाजपा के खिलाफ विपक्षी मोर्चे की आस को लेकर उन्होंने कई मुख्यमंत्रियों से मुलाकात भी की। इनमें नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, एमके स्टालिन समेत कई बड़े नेताओं का नाम शामिल है। हालांकि, इसमें उन्हें कोई खास सफलता मिलती नजर नहीं आई।

अब गुजरात चुनाव के बाद राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने जा रही आप के नेता भी लोकसभा चुनाव पर जोर देने लगे हैं। पार्टी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भाजपा के खिलाफ पेश कर रहे हैं। इसके अलावा पार्टी दिल्ली में एमसीडी और पंजाब में सरकार बनाकर भी उत्साहित है। हालांकि, हिमाचल प्रदेश में आप की कोशिशों को धक्का लगी औऱ गुजरात की भगवा आंधी में भी आप खास कमाल नहीं कर सकी। जानकार भी अटकलें लगा रहे हैं आप अब कांग्रेस की जगह लेती जा रही है।

कांग्रेस के लिए कैसे चुनौती
राष्ट्रीय स्तर पर कई दल मौजूद हैं, लेकिन मुख्य रूप से प्रतिद्वंदी भाजपा औऱ कांग्रेस को ही माना जाता रहा। हिमाचल प्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीन ली। लेकिन साल 2014 के बाद एक ओर जहां कांग्रेस के ग्राफ में गिरावट हो रही है। वहीं, भाजपा तेजी से बढ़ी। अब इन दोनों घटनाओं को क्षेत्रीय दलों और मुख्य रूप से आप के बढ़ने से भी जोड़ा गया।

उदाहरण के लिए गुजरात में कांग्रेस खासतौर से मुस्लिम सीटों पर वोट कटने का शिकार हुई। बंगाल समेत कई राज्यों में कांग्रेस एक-एक सीट के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में अगर क्षेत्रीय दलों का बढ़ना जारी रहा, तो देश की सरकार चुनने में कांग्रेस को कई पॉकेट्स में भाजपा से ज्यादा नुकसान हो सकता है।

तीनों दलों की कांग्रेस से नहीं बनती
राष्ट्रीय पार्टी बनने जा रही आप के मुखिया केजरीवाल ने अहमदाबाद में सितंबर में घोषणा कर दी थी कि 'कांग्रेस खत्म हो चुकी है।' कार्यक्रम के दौरान जब कांग्रेस को लेकर दिल्ली सीएम से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, 'किसने यह सवाल पूछा?' केजरीवाल से पूछा गया कि कांग्रेस नेता अजय कुमार ने आरोप लगाए हैं, तो उन्होंने कहा, 'कांग्रेस खत्म हो चुकी है। उनके सवाल लेने बंद कर दीजिए। कोई उनके सवालों की चिंता नहीं करता।'

गुजरात चुनाव के दौरान भी वह कांग्रेस पर जमकर बरसे। केजरीवाल ने लोगों से यह तक अपील कर दी थी कि कांग्रेस पर अपना वोट बर्बाद नहीं करें।

TRS और कांग्रेस के बीच संबंध नहीं हो सकते, यह दावा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अक्टूबर में किया था। उन्होंने टीआरएस के बीआरएस बनने पर कहा था, 'अगर केसीआर राष्ट्रीय पार्टी बनाना चाहते हैं, तो अच्छा है। अगर वह ग्लोबल पार्टी बनाना चाहते हैं और चीन, यूके में चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो भी अच्छा है। लेकिन सच्चाई यही है कि केवल कांग्रेस की विचारधारा ही भाजपा की विचारधारा से लड़ सकती है।'

टीआरएस ने भी कांग्रेस नेता को करारा जवाब दिया था। पार्टी नेता रामा राव ने राहुल की अमेठी में हार पर तंज कसा था। उन्होंने कहा था, 'अंतरराष्ट्रीय नेता राहुल गांधी, जो अपनी खुद की संसदीय सीट अमेठी नहीं जीत सके, वह तेलंगाना के सीएम केसीआर जी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का मजाक उड़ा रहे हैं। उन्हें पहले अपने ही लोगों को उन्हें सांसद बनाने के लिए समझाने की जरूरत होगी।'

टीएमसी भी कांग्रेस को जमकर घेरती रही है। हालिया गुजरात के नतीजों पर टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, 'कांग्रेस को खुद की आलोचना करने की जरूरत है। वे गुजरात क्यों नहीं जीत सके? क्यों वे गुजरात में लड़ भी नहीं सके? गुजरात में मुख्य जंग भाजपा बनाम कांग्रेस की थी। गुरात में कांग्रेस के पास यह दिखाने का मौका था कि (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी के गृहराज्य में कैसे जीतते हैं। वह असफल क्यों हो गई?'

उन्होंने दावा किया है कि कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अकेले भाजपा से नहीं लड़ पाएगी। उन्होंने कहा, 'जो गुजरात की लड़ाई में हार गया, वह एक रणनीति के साथ लोकसभा चुनाव कैसे लड़ सकता है? भाजपा का विकल्प होने के मामले में टीएमसी की जरूरत और प्रासंगिकता गुरुवार के नतीजों से एक बार फिर साबित हो गई है।'

ममता बनर्जी की बैठक से दोनों ही गायब
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सीएम बनर्जी ने विपक्ष के उम्मीदवार के चुनाव के लिए बैठक बुलाई थी, जिसमें विपक्षी दलों के 16 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। खास बात है कि शिरोमणि अकाली दल, बीजू जनता दल औऱ वाईएसआर कांग्रेस के अलावा टीआरएस और आप भी इस बैठक से गायब रहे थे।

 

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