जनादेश से विश्वासघात का नीतीश नतीजा है कुढ़नी: आरसीपी
पटना
आरसीपी सिंह ने कहा कि कुढ़नी में जदयू की हार बिहार के जनादेश से विश्वासघात का नीतीश-नतीजा है। वहीं, कुढ़नी की विधायकी गंवाने वाले अनिल साहनी ने कहा कि जदयू को राजद की सीट छीनने की कुढ़नी के लोगों ने सजा दी है।
कुढ़नी सीट पर उप चुनाव में हार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, राजद के नंबर 2 नेता व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बुरी तरह घेरा जा रहा है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि यह जनादेश से विश्वासघात का यह नीतीश-नतीजा है। वहीं, यात्रा भत्ते के घोटाला में दोषी पाए जाने पर कुढ़नी की विधायकी गंवाने वाले अनिल साहनी ने कहा कि जदयू को राजद की सीट छीनने की कुढ़नी के लोगों ने सजा दी है। सीट लेकर हारने वाले मुख्यमंत्री को तो गद्दी तेजस्वी को सौंप देनी चाहिए। उधर, जन सुराज पदयात्रा में प्रशांत किशोर ने कहा कि तीन सीटों के उप चुनाव हुए तो दो हार ही गए। जो जीते, वह तो बाहुबल का मामला था। इनकी हैसियत ही नहीं। इससे पहले, कुढ़नी में भाजपा की जीत के साथ राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत विपक्ष के कई नेताओं ने नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने कहा।
जो कार्यकर्ता के अभिवादन का जवाब न दे, वह अध्यक्ष: आरसीपी
नालंदा के अस्थावां प्रखंड स्थित पैतृक गांव मुस्तफापुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने प्रेसवार्ता कर कहा कि 2020 में कुढ़नी सीट राजद की थी। जीती हुई सीट उससे लेकर जदयू हार गई। संदेश साफ है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनादेश के साथ जो विश्वासघात किया, उसे कुढ़नी की जनता ने बहुत गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि उस पार्टी से उम्मीद ही क्या की जा सकती है, जिसका अध्यक्ष ऐसे आदमी को बनाया जाता है तो कार्यकर्ता के अभिवादन का जवाब तक नहीं देता हो। टेबल पॉलिटिक्स करने वाले अध्यक्ष गए तो थे कुढ़नी, मगर उनके समाज के लोगों ने भी इज्जत नहीं बख्शी।
सीट छीनने पर जनता ने सबक सिखाया, पद छोड़ें नीतीश: अनिल
फर्जी कागजातों के आधार पर यात्रा भत्ता उठाने के दोषी पाए जाने पर विधायकी गंवाने वाले कुढ़नी के पूर्व राजद विधायक अनिल साहनी ने कहा कि यह हार महागठबंधन की हार नहीं है। लोगों ने मुख्यमंत्री को, उनके निर्णय को नकारा। राजद से सीट छीनने का भी सबक दिया और पिछड़ा से छीनने का भी। सारे तीर छोड़ लेने के बाद भी नीतीश अपने प्रत्याशी को नहीं जिता सके। कम वोटिंग के बावजूद हार का अंतर बढ़ गया। और क्या-कैसे संदेश दे जनता? नीतीश को समझना चाहिए कि उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ देनी चाहिए और इसे तेजस्वी यादव को सौंप भी देना चाहिए।
जीतने की हैसियत नहीं इनकी, हमारी मदद से 2015 में जीते: पीके
जन सुराज पदयात्रा के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कुढ़नी के परिणाम पर महागठबंधन को जमकर लताड़ा। पीके ने कहा कि तीन में से दो सीटों पर उप चुनाव यह हार गए। जीतने की हैसियत कहां है इनके पास। 2015 में हम मदद नहीं करते तो जीतते भी नहीं। उसके पहले तेजस्वी यादव को कितने लोग जानते थे, याद कीजिए। पीके ने कहा कि लालू यादव के बेटा होने के नाते तेजस्वी को लोग जानते हैं, जनता के नेता तो वह दूर-दूर तक नहीं। बोलने के पहले सोचना चाहिए। पहली कैबिनेट में 10 लाख नौकरी देने वाले तेजस्वी यादव की कलम टूट गई या स्याही सूख गई कि नहीं दे सके। जनता तो जवाब देगी ही। यही कारण है कि लोग सवाल पूछना चाहते हैं और नीतीश कुमार प्रेसवार्ता नहीं करते हैं।