आज ही के दिन सचिन ने तोड़ा था गावस्कर का ऐसा रिकॉर्ड, क्रिकेट में मील का पत्थर बन गया ये दिन
नई दिल्ली
सचिन तेंदुलकर ने 10 दिसंबर 2005 को सुनील गावस्कर का वो रिकॉर्ड तोड़ दिया था जिसके लिए बहुत समय से इंतजार किया जा रहा था। इस रिकॉर्ड ने सचिन को टेस्ट क्रिकेट में नई पहचान दी और ये आज भी क्रिकेट में अहम दिन है। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट करियर पर सुनील गावस्कर का प्रभाव काफी रहा। गावस्कर को देखकर सचिन बड़े हुए थे और गावस्कर भी तेंदुलकर के बड़े मुरीद थे। एक समय था जब गावस्कर चाहते थे कि सचिन उनके सर्वाधिक टेस्ट शतकों का रिकॉर्ड तोड़े और सचिन ने बाद में ऐसा किया भी। सचिन द्वारा गावस्कर के बड़े रिकॉर्ड तो तोड़ने की बात आती है तो आज का दिन यानी 10 दिसंबर काफी अहमियत रखता है जब सचिन तेंदुलकर ने दूसरे टेस्ट में श्रीलंका के खिलाफ फिरोज शाह कोटला में अपने आदर्श की इच्छा को पूरा किया था।
सर्वाधिक टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया
सचिन ने आज ही के दिन 2005 में दिल्ली में शतक के साथ भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर के लंबे समय से चले आ रहे सर्वाधिक टेस्ट शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। यह एक ऐसा बेमिसाल रिकॉर्ड था जिसे गावस्कर ने 22 वर्षों तक कायम रखा। जैसे ही सचिन ने ये रिकॉर्ड तोड़ा तो दूर से 'सचिन, सचिन' के नारे सुनाई दे रहे थे क्योंकि भीड़ बेकाबू हो गई थी। सचिन अपना बेस्ट 90 के दशक में ही पीछे छोड़ गए थे। लेकिन वे अपनी क्लास में अभी भी तत्कालीन महानतम बल्लेबाजों में एक थे।
सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं थे
हालांकि 2004-2006 के चरण के दौरान वह सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं थे और ये ऐसा साल था जो उनके मानकों के अनुसार अच्छा नहीं था। उस दौरान टीम में उनकी जगह पर भी सवाल उठाया गया था। तब भारत के पास बाकी क्रिकेटर तेजी से उभर रहे थे और टीम इंडिया 90 के दशक की तरह अकेले सचिन तेंदुलकर पर निर्भर नहीं करती थी। आज के दिन की पारी के दौरान तेंदुलकर को शुरू में श्रीलंकाई दिग्गज ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के खिलाफ मुश्किल हो रही थी। लेकिन एक बार जब उन्होंने जमने के बाद आराम से स्कोर करना जारी रखा और गावस्कर का 34 टेस्ट शतकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
गावस्कर स्टेडियम में मौजूद थे
रिकॉर्ड तोड़ने का वह पल भी खास बन गया क्योंकि गावस्कर स्टेडियम में मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से सचिन को बधाई दी और कहा कि उन्हें खुशी है कि एक साथी भारतीय ने रिकॉर्ड तोड़ा। वह पल इसलिए भी खास था क्योंकि दूसरे छोर पर सचिन के साथ उनके लंबे समय के दोस्त और सलामी जोड़ीदार सौरव गांगुली थे। सचिन को इस शतक ने कॉन्फिडेंस दिया। उनको टेनिस एल्बो की वजह से भी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इस चोट के दर्द ने उनको कई मैचों में सताया था जिसके चलते उनका आत्मविश्वास भी थोड़ा-बहुत हिला था।
करियर को हाई नोट पर फिनिश किया
लेकिन सचिन ने वापसी करने में कामयाबी हासिल की और करियर को हाई नोट पर फिनिश किया क्योंकि दिल्ली के शतक के तीन साल बाद, तेंदुलकर टेस्ट में सर्वकालिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए। आज भी उनके नाम टेस्ट में सबसे ज्यादा रन हैं। फिर सचिन 2011 में विश्व कप विजेता भी बने और अब तक के सबसे महान बल्लेबाज में एक के तौर पर रिटायर हुए।