बचपन में दादा को खोया, अब देश को चैंपियन बनाने की राह पर कोएशिया का स्टार लूका मॉड्रिच
नई दिल्ली
फीफा फुटबॉल वर्ल्डकप में कल दो बेहतरीन मुकाबले खेले गए। एक तरफ अर्जेंटीना ने कांटे की टक्कर में नीदरलैंड्स को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। दूसरी तरफ, क्रोएशिया की टीम ने ब्राजील को पटखनी दे डाली। अब क्रोएशिया की टीम सेमीफाइनल में है और उसकी उम्मीदों का कर्णधार कोई और नहीं, बल्कि उसकी टीम का कप्तान लूका मॉड्रिच है। युद्ध के दौरान अपने बचपन के हीरो, अपने दादा को खोने और होटल में शरणार्थी जीवन बिताने के दौरान पंक्चर फुटबॉल पर किक लगाता लूका, आज अपने उस सपने को पूरा करने की राह पर है, जो 2018 में अधूरा रह गया था। पेनाल्टी शूटआउट में लूका ने बड़ी खूबसूरती से प्रेशर हैंडल किया, लेकिन मुश्किलों से पार पाने का हुनर वह बचपन में ही सीख चुका था। शायद छह साल की उम्र में ही, जब उसके दादा बड़ी बेदर्दी से हत्या कर दी गई थी। तब से अब तक लूका ने एक लंबा सफर तय किया है।
लूका की जिंदगी का वो मनहूस दिन
आठ दिसंबर, 1991 का दिन लूका की जिंदगी का सबसे मनहूस दिन माना जा सकता है। उसका देश क्रोएशिया आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। लूका अपने परिवार के साथ छोटे से गांव मॉड्रिकी में रहता था। एक दिन सर्बियन लड़ाकों ने गांव पर हमला बोल दिया और उसके दादा लूका मॉड्रिच सीनियर समेत गांव के पांच लोगों को जान से मार डाला। ऐसा उस गांव के लोगों को डराने के लिए किया गया था, ताकि वह लोग उस जगह को छोड़कर चले जाएं। इस घटना ने लूका की जिंदगी पर बहुत गहरा असर डाला। लूका के लिए उसके दादा हीरो थे। लूका के माता-पिता एक फैक्ट्री में दिन-रात काम करते थे ताकि घर चलता रहे। वहीं, सीनियर लूका अपने पोते-पोती को लेकर गांव में रह रहे थे।
कार पार्किंग में पंक्चर फुटबॉल पर किक
इस घटना के बाद लूका के पैरेंट्स ने मॉड्रिकी छोड़ दिया। उन लोगों ने जदार कस्बे के एक होटल में शरणार्थी की जिंदगी बितानी शुरू कर दी। लूका की जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर शुरू हो चुका था। वहां न बिजली थी और न ही पानी का पर्याप्त इंतजाम। लूका और उसकी बहन जैस्मिना के कानों में हर वक्त ग्रेनेड और गोलियों की आवाजें गूंजती रहतीं। साथ ही, हर कदम पर लैंडमाइंस का खतरा। इन खतरों के बीच भी लूका का फुटबॉल प्रेम जिंदा रहा। होटल की छोटी सी कार पार्किंग में वह एक पंक्चर फुटबॉल पर किक लगाता रहता और सपना देखता रहता कि कभी तो यह युद्ध खत्म होगा और वह एक बार फिर फुटबॉल के मैदान में अपने करतब दिखा पाएगा।
जब लूका ने कहा-मैं उसे भूलना नहीं चाहता
दिलचस्प बात यह है कि लूका अपनी जिंदगी के इस सबसे दुखद अध्याय के बारे में बहुत कम बात करता है। हालांकि, साल 2008 में स्पर्स से करार के वक्त उसने इस वाकए का जिक्र किया था। मॉड्रिच के मुताबिक, जब युद्ध शुरू हुआ और हम शरणार्थी जीवन बिता रहे थे, वह समय बहुत कठिन था। वह आगे कहते हैं, मैं सिर्फ छह साल का था। मेरे जेहन में आज भी छिटपुट यादें हैं। हम कई साल तक एक होटल में रहे और आर्थिक तंगी से जूझते रहे, लेकिन फुटबॉल को लेकर मेरा प्यार कभी कम नहीं हुआ। लूका ने बताया था कि उसे अब भी अपने पहले शिन पैड्स याद हैं, जिन पर ब्राजीलियन स्टार रोनाल्डो की तस्वीर बनी थी। वह शिन पैड्स मुझे बहुत पसंद थे। क्रोएशियाई फुटबॉल स्टार ने बताया था कि युद्ध ने मुझे मजबूत बनाया। यह मेरे और मेरे परिवार के लिए एक कठिन समय था। मैं इसे भूलना भी नहीं चाहता।
10 साल की उम्र में कर दिए गए थे खारिज
यह भी दिलचस्प है कि 10 साल की उम्र में मॉड्रिच को तमाम फुटबॉल कोच ने खारिज कर दिया था। उनका मानना था कि फुटबॉल जैसे टफ गेम के लिए वह बहुत शर्मीले हैं। हालांकि लूका ने आगे अपने खेल से उनके अनुमानों को गलत साबित किया। टॉटेनहम और रियल मैड्रिड जैसे क्लब्स के लिए खेलते हुए लूका ने देश और दुनिया में अपने लिए खूब इज्जत कमाई है। साल 2018 में उन्हें फुटबॉल का सबसे बेहतरीन पुरस्कार बैलेन डी ऑर दिया गया। इसके लिए उन्होंने रोनाल्डो और मेसी जैसे बड़े नाम को पीछे छोड़ा था। हालांकि, अभी भी उनका सबसे बड़ा मिशन वर्ल्डकप है। पिछले फुटबॉल विश्वकप में क्रोएशिया की टीम फाइनल तक पहुंची थी, जहां उसे फ्रांस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। शायद इस बार लूका अपना यह ख्वाब पूरा कर पाएं।