मम्मी-पापा माफ करना…मेरा डेथ सर्टिफिकेट दिखा देना, कर्ज माफ हो जाएगा, सुसाइड नोट लिख दंपती ने दे दी जान
गोरखपुर
गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र के जंगल धूसड़ में एक शख्स ने पत्नी संग जहर खाकर खुदकुशी कर ली। जहर खाने से पहले उसने आखिरी बार अपने पिता को फोन भी किया। टिनशेड के कमरे में पत्नी और बाहर थोड़ी दूरी पर अर्धनग्न हालत में पति की लाश मिली। पुलिस को मौके से जहर का पैकेट और डायरी में लिखा सुसाइड नोट मिला जिसमें पारिवारिक कलह और आर्थिक तंगी का जिक्र है। इस सुसाइड नोट में लिखा है- 'मम्मी, पापा माफ करना मुझे आप लोगों की परवरिश पर गर्व है। आपको घर, खेत, बैंक बैलेंस व तीनों बेटियां मुबारक हों। तीनों बहनों ने मिलकर आप लोगों का दिमाग बदल दिया। जब मेरा मोबाइल फोन आप लोग ऑन करेंगे तो जिनका कर्ज लिया हूं उनका फोन आएगा। मेरा मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर उन्हें दिखा देना कर्ज माफ हो जाएगा।'
सुसाइड नोट में युवक ने अपने एटीएम का कोड लिखते हुए अपने पिता से अपील की है कि खाते में जो भी रुपये होगा निकाल लिजिएगा और उसी से पत्नी और मेरा ब्रह्मभोज कर दीजिएगा। आटो को सहजनवां के सेंटर से खरीदा हूं, इसे कंपनी वालों को लौटा दीजिएगा कर्ज माफ हो जाएगा। उसने लिखा है कि पत्नी के चरित्र पर झूठा आरोप लगने की वजह से दोनों ने घर छोड़ा था। यह बात पूरा गांव जानता है। कर्ज में डूब गए तो कोई साथ देने वाला नहीं है, जब स्थिति ठीक थी तो बाबू हुआ करते थे। आप लोग खुश रहिए।
महराजगंज के सिंदुरिया क्षेत्र के चिउटहां निवासी 30 वर्षीय विवेकानंद दुबे 25 वर्षीय पत्नी माधुरी के साथ जंगल धूसड़ की भट्ठा कालोनी में टिनशेड के मकान में किराये पर रहता था। वह ऑटो चलाने का काम करता था। मकान मालिक संजय ने बताया कि बीते 25 नवंबर को ही विवेकानंद ने 1500 रुपये किराये पर कमरा लिया था। शुक्रवार सुबह एक व्यक्ति ऑटो बुक कराने के लिए विवेकानंद के कमरे पर पहुंचा। काफी आवाज लगाने पर भी कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने पड़ोसियों को इसकी जानकारी दी। एक महिला ने कमरे के जाकर देखा तो माधुरी मृत पड़ी थी। वह शोर मचाते हुए बाहर आई। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। वहीं घर से बाहर कुछ दूरी पर विवेकानंद का शव अर्धनग्न हालत में मिला।
आर्थिक तंगी और उपेक्षा से परेशान था दंपती
विवेकानंद दुबे और माधुरी की खुदकुशी के पीछे आर्थिक तंगी और पिता की उपेक्षा सबसे बड़ी वजह के रूप में सामने आ रही है। सुसाइड नोट की मानें तो पिता से विवेकानंद के रिश्ते ठीक नहीं थे। यही वजह है कि डेढ़ साल से घर छोड़कर वह पत्नी के साथ किराये पर रहता था। खुदकुशी से पहले उसने अपने पिता से अंतिम बार बात भी की थी। सुसाइड नोट में भी सारी जायदाद बहनों को देने की बात लिखी गई है। महराजगंज निवासी विवेकानंद की माधुरी से दस साल पहले शादी हुई थी। हालांकि उनके बच्चे नहीं है। रोजगार के लिए विवेकानंद ने पहले पंडिताई का काम शुरू किया।
लेकिन जब घर खर्च चलाने के लिए यह नाकाफी साबित होने लगा, तब वह गोरखपुर आ गया और यहां मजदूरी भी की। बताया जा रहा है कि करीब छह महीने पहले उसने लोन पर सीएनजी ऑटो लेकर चलाने लगा। पहले वह शाहपुर इलाके में कमरा लेकर रहता था लेकिन वहां किराया ज्यादा होने पर 25 नवम्बर को जंगल धूसड़ में संजय निषाद के टीनशेड के मकान में किराये पर रहने लगा था। बताया जा रहा है कि ऑटो चलाने के दौरान ही संजय और विवेकानंद का परिचय हुआ था।