सिवनी गबन कांड: रेवेन्यू अफसर रडार पर, आपदा राहत के नाम पर फर्जी केस
सिवनी
सिवनी जिले के केवलारी तहसील क्षेत्र में आपदा राहत के नाम पर फर्जी केस तैयार कर 11 करोड़ रुपए से अधिक राशि का गबन किए जाने का मामला सामने आने के बाद अब महालेखाकार की नजरें राजस्व विभाग के अफसरों की कार्यशैली पर तेज हो गई हैं। यही वजह है कि आडिटर जनरल (एजी) की टीम तीन माह बाद ही फिर रेवेन्यू दस्तावेजों को खंगालने के लिए राज्य स्तरीय और संभागीय कार्यालयों पर पहुंच गई है। इनके द्वारा सरकार की ओर से किए गए भुगतान के मामलों की पूरी रिपोर्ट मंगाकर उसमें कमियां तलाशने का काम किया जा रहा है।
राजस्व विभाग के अफसरों के अनुसार वैसे तो एजी की टीम साल भर में एक बार ही आडिट इंस्पेक्शन के लिए आती रही है लेकिन इस साल दूसरी बार टीम आ चुकी है। इसके पीछे सिवनी जिले में हुए प्राकृतिक आपदा मद से फर्जी भुगतान जैसे अन्य मामलों की तलाश को वजह बताया जा रहा है क्योंकि यह घोटाला तभी खुला था जब एजी की टीम दस्तावेजों की जांच के लिए पिछले माह सिवनी पहुंची थी और तब केवलारी तहसील का आरोपी नायब नाजिर रिकार्ड देने के बजाय गायब हो गया था।
गौरतलब है कि केवलारी तहसील में पदस्थ नायब नाजिर ने कोरोना काल में दो साल के अंतराल में 179 जिन्दा लोगों को मृत बताकर चार लाख रुपए के मान से फर्जी भुगतान कर दिया था। इस तरह उसके द्वारा 11 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का फर्जी आहरण किया गया और इसके लिए फर्जी साइन और स्वीकृति दिखाई गई। इस मामले में आरोपी इतना बेखौफ हो गया था कि एक ही व्यक्ति के खाते में पांच से सात बार तक चार-चार लाख रुपए का भुगतान किया था।
राहत आयुक्त से भी ली जानकारी
इस मामले में राहत आयुक्त कार्यालय से भी एजी द्वारा जानकारी ली जा रही है कि किस जिले में कितना भुगतान राहत के अलग-अलग मद में किसे किया गया है। यह राहत अज्ञात वाहन से मौत, आकाशीय बिजली गिरने, सर्पदंश या कीड़े के काटने से मौत, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक कारणों से होने वाली मौत के मामले में मृतक के परिजनों को दी जाती है।