November 15, 2024

UN में अमेरिका के प्रस्ताव से भारत ने बनाई दूरी, अब थरूर ने जयशंकर को दे दी शाबाशी 

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 नई दिल्ली 

अमेरिका और आयरलैंड की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिबंधित देशों में मानवीय सहायता वाले प्रस्ताव से भारत ने दूरी बनाई थी। इस मसले पर अब कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की तारीफ की है। दरअसल, भारत ने पाकिस्तान का हवाला देकर बैठक से किनारा किया था और कहा था कि उसके पड़ोसी देश के आतंकवादी संगठनों को इस प्रस्ताव से फंड इकट्ठा करने और अपनी नई फौज तैयार करने में मदद मिल सकती है।

पूर्व राजनयिक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पास किये गए प्रतिबंधित देशों में मानवीय छूट वाले प्रस्ताव पर भारत के रुख के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर की तारीफ की। भारत ने अमेरिका और आयरलैंड द्वारा मानवीय प्रयासों को छूट देने वाले प्रतिबंधों को बनाने के लिए पेश किए गए प्रस्ताव पर यह कहकर असहमति जताई थी कि उसके पड़ोस सहित दुनिया भर में ब्लैक लिस्टेड आतंकवादी समूहों को इससे काफी मदद मिल सकती है। वे धन इकट्ठा कर सकते हैं। जिसका वे हथियारों, गोला-बारूद और अपनी नई फौज तैयार करने में मदद कर सकते हैं।

भारत, वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा था लेकिन, फिर भी परिषद की बैठक में भारत को छोड़कर अन्य सभी 14 सदस्यों ने उपस्थित होकर प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। बैठक से किनारा करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि हमारी चिंताएं आतंकवादी समूहों के इस तरह के मानवतावादी प्रयासों का पूरा फायदा उठाने से है। यह 1267 सहित प्रतिबंधित व्यवस्थाओं का मखौल उड़ाने जैसा है। 

थरूर ने क्या कहा
भारत के रुख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शशि थरूर ने कहा कि वह देश के उन आपत्तियों से पूरी तरह सहमत हैं, जिसके कारण भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया। थरूर ने एक ट्वीट में कहा, "प्रस्ताव के पीछे की मानवीय चिंताओं को समझते हुए मैं भारत की उन आपत्तियों से पूरी तरह सहमत हूं, जिसने इसके बहिष्कार को प्रेरित किया।" शाबाश, एस जयशंकर।”

पाकिस्तान का हवाला दिया
पाकिस्तान और उसकी सरजमीं पर मौजूद आतंकी संगठनों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कंबोज ने कहा, “इस परिषद द्वारा सूचीबद्ध लोगों सहित हमारे पड़ोस में आतंकवादी समूहों के कई मामले भी सामने आए हैं, जिन्होंने इन प्रतिबंधों से बचने के लिए कई मानवीय संगठनों और नागरिक समाज के रूप में नया अवतार लिया है।"

मानवीय संगठनों में आड़ में फल-फूल रहे आतंकी
जमात-उद-दावा (JuD) खुद को मानवतावादी संगठन कहता है, लेकिन व्यापक रूप से लश्कर-ए-तैयबा (LET) के लिए एक फ्रंट संगठन के रूप में काम करता है। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), आतंकवादी संगठनों जेयूडी और लश्कर द्वारा संचालित एक धर्मार्थ संस्था है। अल रहमत ट्रस्ट, जो एक अन्य आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) द्वारा समर्थित है भी पाकिस्तान में फल-फूल रहा है।
 

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