कांग्रेस ने BJP के ‘चाय वाले’ का जवाब ‘दूध वाले’ से दिया
नई दिल्ली
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं चार बार के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। छात्र राजनीति से उभरकर पार्टी में विभिन्न पदों पर रहते हुए सुक्खू आज हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। सुक्खू को पार्टी के दिग्गज नेता और छह बार के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह का कट्टर आलोचक माना जाता रहा है। सिंह का पिछले साल निधन हो गया था। वीरभद्र सिंह की करिश्माई मौजूदगी के बिना इस राज्य में पार्टी की पहली जीत के साथ, सुक्खू को इस शीर्ष पद पर विराजमान करना यह स्पष्ट करता है कि पार्टी आगे बढ़ने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में वीरभद्र सिंह की पत्नी एवं पार्टी की राज्य इकाई की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी शामिल थी लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने 58 वर्षीय सुक्खू के नाम पर रजामंदी दी।
सुक्खू एक सामान्य परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता सड़क परिवहन निगम में ड्राइवर के पद पर कार्यरत थे। सुक्खू अपने शुरुआती दिनों में छोटा शिमला में दूध बेचने का काम किया करते थे। कांग्रेस ने सुक्खू को हिमाचल का नया मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी के ये संदेश देने की कोशिश की है कि उसकी पार्टी के अंदर भी निचले तबके के लोग उच्च पदों पर आसीन होते रहे हैं और आगे भी हो सकते हैं। बीजेपी अक्सर पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर यह कहती रही है कि उनकी पार्टी में चाय बेचने वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है।
ऐसा कहकर जनमानस के एक बड़े हिस्से को कनेक्ट करने की बीजेपी की राजनीति को समझते हुए कांग्रेस ने भी सुखविंदर सिंह सिक्खू के जरिए खुद को आमजनों के बीच फिर से स्थापित करने की कोशिश की है। 27 मार्च, 1964 को हमीरपुर जिले के भावरना गांव में जन्मे सुक्खू ने शिमला के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज के 11वीं क्लास में ही 1981 में अपने नेतृत्व कौशल का लोहा मनवा लिया था। उसके बाद से उन्होंने राजनीति में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सत्ता छीनने के बाद सुक्खू और प्रतिभा सिंह दोनों ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश किया था। सुक्खू शीर्ष पद पर काबिज होने वाले निचले हिमाचल के पहले कांग्रेसी नेता होंगे। भाजपा के प्रेम कुमार धूमल के बाद वह हमीरपुर जिले से दूसरे मुख्यमंत्री होंगे।
छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के साथ अक्सर टकराव होने के बावजूद सुक्खू 2013 से 2019 तक रिकॉर्ड छह साल तक पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष बने रहे। वह हमेशा वीरभद्र सिंह के खिलाफ रहे, लेकिन अपनी जमीन पर डटे रहे। यहां तक कि उनके पीसीसी अध्यक्ष के कार्यकाल को तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह के साथ तीखे संबंधों के लिए जाना जाता है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले और कांग्रेस प्रचार समिति के प्रमुख रहे नादौन सीट से विधायक सुक्खू को शनिवार को सर्वसम्मति से कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान का सुक्खू पर विश्वास तभी जाहिर हो गया था, जब उन्हें कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और बड़ी संख्या में उनके समर्थकों को पार्टी का टिकट मिला था। उन्होंने कहा कि राज्य कांग्रेस प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सूक्खू ने संगठन को मजबूत किया और कार्यकर्ताओं तथा विधायकों के साथ उनके तालमेल ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार बना दिया।
राज्य की 68 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव 12 नवंबर को हुए थे और नतीजों की घोषणा बृहस्पतिवार को की गई। जुलाई 2021 में वीरभद्र सिंह के निधन के बाद से राज्य में यह पहला चुनाव था। सुक्खू कांग्रेस से संबद्ध नेशनल स्टूडेन्ट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) की राज्य इकाई के महासचिव थे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की थी। जमीनी स्तर पर काम करते हुए वह दो बार शिमला नगर निगम के पार्षद चुने गए थे। उन्होंने 2003 में नादौन से पहली बार विधानसभा चुनाव जीता और 2007 में सीट बरकरार रखी लेकिन 2012 में वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2017 और 2022 में उन्होंने फिर से जीत दर्ज की।