रामपुर में SP की हार में BSP को दिखा स्कोप, मायावती ने अखिलेश को घेरा; मुस्लिम वोटरों को दिया संदेश
लखनऊ
आजम खान के गढ़ और मुस्लिम बाहुल्य रामपुर सीट पर सपा प्रत्याशी आसिम रजा को हराकर आकाश सक्सेना ने पहली बार यहां बीजेपी का परचम लहराया है। इसमें मायावती को मुस्लिम वोटों के बीएसपी से जुड़ने का स्कोप दिख रहा है। उन्होंने मुस्लिम वोटरों को एक बार फिर चिंतन करने का मैसेज देते हुए समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को घेरा है।
मायावती ने एक ट्वीट में सपा की हार पर तंज करते हुए कहा कि यह कहीं भाजपा के साथ उसकी मिली भगत तो नहीं है। इसलिए मुस्लिमों को चिंतन करने की जरूरत है। मायावी ने कहा कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की जीत गई, लेकिन रामपुर में आजम खान की खास सीट पर हार गई। अब यह चर्चा जोरों पर है कि कहीं यह सब सपा और भाजपा की अंदरूनी मिलीभगत का परिणाम तो नहीं है? मायावती इसके पहले भी आजम खान के प्रति समर्थन जता चुकी हैं। पिछले दिनों जब आजम, अखिलेश से नाराज चल रहे थे तब भी मायावती ने आजम के समर्थन में ट्वीट करके बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था यूपी और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस की तरह ही गरीबों, दलितों, आदिवासियों और मुस्लिमों को टारगेट कर जुल्म, ज्यादती और भय का शिकार बनाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है। मायावती ने तब करीब सवा दो साल तक जेल में रहे आजम खान को लेकर कहा था कि उनके साथ जो कुछ हो रहा है लोगों की नजर में वो न्याय का गला घोंटना नहीं तो और क्या है?
बता दें कि आजम खान के जेल में रहने के दौरान आजम और उनका परिवार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज चल रहा था। अखिलेश पर आरोप था कि वह दो साल में सिर्फ एक बार जेल में आजम से मिलने गए। उन्होंने आजम की रिहाई के लिए किसी तरह का कोई बड़ा आंदोलन भी नहीं खड़ा किया। अखिलेश से आजम की नाराजगी को भांपकर बसपा उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करती रही है। दरअसल, माना जाता है कि आजम खान और उनके परिवार का यूपी के मुस्लिम वोटरों में बड़ा असर है। 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटीं मायावती इसी वजह से आजम का समर्थन करती नज़र आ रही हैं। उनकी कोशिश यूपी के मुस्लिम वोटरों को यह यकीन दिलाकर कि बीजेपी से लड़ने में सिर्फ बीएसपी ही सक्षम है, अपने पाले में लाने की की है।
रामपुर की हार के लिए अखिलेश पर सवाल
मायावती ने रामपुर की हार को लेकर अखिलेश पर सवाल उठाया है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा- 'यूपी के मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की हुई जीत लेकिन रामपुर विधानसभा उपचुनाव में आजम खान की खास सीट पर योजनाबद्ध कम वोटिंग करवा कर सपा की पहली बार हुई हार पर यह चर्चा काफी गर्म है कि कहीं यह सब सपा और भाजपा की अंदरूनी मिलीभगत का ही परिणाम तो नहीं?' मुस्लिमों से अपील करते हुए उन्होंने कहा- 'इस बारे में खासकर मुस्लिम समाज को काफी चिंतन करने और समझने की भी जरूरत है, ताकि आगे होने वाले चुनावों में धोखा खाने से बचा जा सके। खतौली विधानसभा की सीट पर भाजपा की हुई हार को भी लेकर वहां काफी संदेह बना हुआ है। यह भी सोचने की बात है।'
मैनपुरी में हुई है डिंपल की बड़ी जीत
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव की बंपर वोटों से रिकार्ड जीत हुई है। जबकि रामपुर में आजम खान की भावुक अपीलों और पूरा जोर लगाने के बाद भी सपा उम्मीदवार आसिम रजा हार गए। खतौली विधानसभा उपचुनाव में सपा-रालोद प्रत्याशी मदन भैया ने भाजपा की राजकुमारी सैनी को हराकर यह सीट उनसे छीन ली। बता दें कि इसे पहले मायावती ने गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में सपा की हार को लेकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि भाजपा की जीत से ज्यादा सपा की 34,298 वोटों से करारी हार के लिए काफी चर्चाओं में है। बीएसपी जब अधिकांशतः उपचुनाव नहीं लड़ती है और यहां भी चुनाव मैदान में नहीं थी, तो अब सपा अपनी इस हार के लिए कौन सा नया बहाना बनाएगी?
मैदान से बाहर रहकर रखी नजर
बसपा ने मैनपुरी लोकसभा, रामपुर और खतौली विधानसभा उपचुनाव में हिस्सा नहीं लिया था। लेकिन उन्होंने इन चुनावों पर नज़र जरूर रखी और नतीजे आते ही अखिलेश पर हमले तेज कर दिए। दरअसल, यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही बसपा-सपा एक दूसरे पर हमले बोल रही हैं। दोनों के बीच वोटरों को संदेश देने की होड़ लगी है। इसमें समाजवादी पार्टी जहां बीएसपी पर बीजेपी से मिलीभगत कर जानबूझकर ऐसे उम्मीदवार खड़े करने का आरोप लगा रही है जो सपा कैंडिडेट को नुकसान और बीजेपी को फायदा पहुंचाए तो वहीं बीएसपी कह रही है कि मुसलमानों के एकतरफा सपा के पक्ष में मतदान करने की वजह से यूपी चुनाव में हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो गया।
इसी वजह से बीजेपी दोबारा बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही और बीएसपी को अब तक की सबसे बुरी हार (2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली है) का सामना करना पड़ा। सपा ने बीएसपी पर इस साल जून में हएु आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में अपनी हार के बाद भी आरोप लगाया था। इस चुनाव में बसपा ने गुडडू जमाली को अपना उम्मीदवार बनाया था। चुनाव में अपनी हार के लिए बाद में सपा ने बसपा की इसी रणनीति को जिम्मेदार ठहराया।