क्या आप जानते है की माता दिता के हरण से पहले रावण ने किया था माता कौशल्या का अपहरण
यह तो हम सभी जानते हैं कि लंकापति रावण ने किस प्रकार माता सीता का हरण किया और अपने काल को आमंत्रित किया, लेकिन क्या आपको यह भी ज्ञात है कि सीताहरण से कई वर्षों पूर्व रावण ने किया था राजमाता कौशल्या का भी हरण? अगर नहीं, तो आइये जानते हैं आनंद रामायण में वर्णित इस प्रसंग को.
ब्रह्माजी ने बताया रावण की मृत्यु का कारण
एक बार रावण के मन में अत्यंत उत्सुकता हुई कि वो अपनी मृत्यु के बारे में जाने और उस पर विजय प्राप्त कर अमर हो जाए और पूर्ण सृष्टि पर राज करे. इसी मनोरथ के साथ रावण सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी के पास पहुंचा और उनसे अपनी मृत्यु के बारे में जानने की अपनी इच्छा व्यक्त की.
ब्राह्माजी मुस्कुराकर बोले, “हे दशानन! मृत्यु तो अकाट्य सत्य है, इस संपूर्ण धरा पर अमर तो कोई भी नहीं है, जो जन्मा है, उसे मरना ही होगा एवं तुम्हारी मृत्यु अवधपति दशरथ और कौशल्या के पुत्र श्रीहरि के अवतार राम के हाथों सुनिश्चित है.”
रावण ने किया कौशल्या जी का हरण
रावण परम ज्ञानी था. उसने सोचा कि अगर किसी भी कारणवश दशरथ और कौशल्या का विवाह ना हो पाए तो राम का जन्म होगा ही नहीं और उसकी मृत्यु टल जाएगी. उसने एक युक्ति सोची और जिस दिन कौशल्या और दशरथ का विवाह होना था, उसी दिन उसने कौशल्या जी का अपहरण कर लिया,.
अपहरण करके उसने उन्हें एक बड़े से मायावी बक्से में बंद करके बहुत दूर एक सुनसान द्वीप पर रख आया. अब रावण एकदम निश्चिंत और प्रसन्न था क्योकि उसके अनुसार उसने अपनी मृत्यु को टाल दिया था, परंतु जैसा की ब्रह्मा जी ने कहा था कि मृत्यु एक अकाट्य सत्य है वो तो आनी ही है.
दशरथ और कौशल्या का विवाह
देवर्षि नारद ने यह वाक्या राजा दशरथ को कह सुनाया, जिसके बाद राजा दशरथ अपनी सेना सहित उस द्वीप पर जा पहुंचे, जहां कौशल्या जी मुर्छित अवस्था में बक्से में बंद थीं. राजा दशरथ उन्हें सकुशल अपने साथ अवधपूरी ले आए, जहां पूरे विधि विधान से दोनों का विवाह पूर्ण हुआ. फिर किस प्रकार अग्निदेव के आशीर्वाद से उन्होंने श्रीहरि विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम को जन्म दिया और राम द्वारा कैसे रावण का वध किया गया, यह हम सब भली-भांति जानते हैं.