सीएजी रिपोर्ट में खुलासा : बिहार को 486 करोड़ राजस्व का नुकसान, अपात्र किसानों को दिए 86.26 करोड़; किसकी लापरव
पटना
वित्तीय वर्ष 2020-21 में विभागों के बीच समन्वय का अभाव और विभागीय कर्मियों की लापरवाही की वजह से सरकार को 486.29 करोड़ रुपये की राजस्व हानि का पता चला है। इसका खुलासा 669 मामलों की जांच में महालेखाकार द्वारा किया गया है। विधानसभा में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और विधानपरिषद में मंत्री जयंत राज ने सीएजी की रिपोर्ट रखी। खनन, स्थानीय निकाय, राजस्व (परिवहन, निबंधन और भूमि), वित्त का आंतरिक परीक्षण और सिंचाई की सीएजी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। विधानमंडल में सीएजी रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद महालेखाकार (लेखा परीक्षा) रामअवतार शर्मा ने अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार के राजस्व संग्रह करने वाले विभागों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। कई विभागों में राजस्व की हानि पायी गयी। सीएजी ने पाया कि राजस्व संग्रह और प्रबंधन के लिए सख्त मॉनिटरिंग नहीं की गई। सरकार को 1 लाख 28 हजार 294 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। इसमें बिहार सरकार के स्त्रोत से 36 हजार 543 करोड़ और केंद्र सरकार से 91 हजार 751 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
मृत किसानों को भी पीएम सम्मान निधि दी गई
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ अपात्र किसानों को दिया गया। इसमें 48 हजार 366 आयकरदाता थे। 19 हजार 485 किसानों की मृत्यु हो चुकी या किसी अन्य रोजगार में थे। वहीं 22 हजार 301 को कम आयु के बावजूद योजना का लाभ दिया गया। इस तरह दस जिलों की जांच में पता चला कि 86.26 करोड़ रुपये की बंदरबाट की गई। अपात्र लाभार्थियों से 62.67 करोड़ वसूले जाने की बजाए सिर्फ 5 करोड़ की वसूली की गई। लाभार्थियों की सूची नहीं होने से 71 लाख 45 हजार 065 लाभार्थी योजना का लाभ लेने से वंचित रह गए।
भूमि अधिग्रहण में देरी से नहीं बन पाए पॉलिटेक्निक कॉलेज
अवसर बढ़े आगे बढ़ें योजना के अंतर्गत अभियंत्रण एवं पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थापना भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण नहीं हो पाई। शिक्षक और कर्मचारियों की कमी के चलते तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ा। प्रत्येक जिले में अभियंत्रण महाविद्यालय और पॉलिटेक्निक संस्थान की स्थापना का उद्देश्य विफल हो गया।