नीतीश के खिलाफ RJD को भड़का रहे प्रशांत किशोर? 2025 में नहीं अभी ही तेजस्वी को गद्दी सौंपने की दी सलाह
नई दिल्ली
नीतीश कुमार ने जब अपने पुराने और लंबे समय तक सहोयगी रहे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से गठबंधन तोड़ा तो उन्होंने आरोप लगया कि भगवा पार्टी ने बिहार में उनकी पार्टी जनता दल युनाइटेड (JDU) को खत्म करने की कोशिश रही है। जेडीयू नेताओं ने विधानसभा चुनाव में 'चिराग मॉडल' से होने वाले नुकसान का जिक्र किया। लेकिन हाल में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन के विधायकों और विधान पार्षदों की बैठक में 2025 के चुनाव के लिए तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो सभी को चौंका दिया।
नीतीश कुमार ने अभी तक जिस महीन तरीके से बिहार में राजनीति की है, उसे देखते हुए लोगों को यह बात आसानी से हजम होती नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री को करीब से जानने वाले लोग इसे एक साधारण घोषणा की तरह से नहीं देख रहे हैं। बिहार के लोग भी इसके पीछे की सियासी चाल को पढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
पीके के बयान से आरजेडी भी होगी खुश
इस बीच नीतीश कुमार के पूर्व सहयोगी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जो बयान दिया है, वह शायद आरजेडी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी पसंद आए। अपनी जन सुराज पदयात्रा के दौरान शिवहर में लोगों को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर एक तरह से तंज कसते हुए कहा, 'तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने के लिए जेडीयू को 2025 तक का इंतजार नहीं करना चाहिए। उनके गठबंधन में राजद की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। नीतीश कुमार को उन्हें सीएम बनाना चाहिए।' उन्होंने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा, 'इससे तेजस्वी को 3 साल तक काम करने का मौका मिलेगा और जनता को उनके प्रदर्शन के आधार पर वोट देने का मौका मिलेगा।' पीके की इस तर्क से शायद की आरजेडी को कोई नेता वाकिफ नहीं रखता हो।
नीतीश की घोषणा या सियासी चाल?
कुढ़नी में जेडीयू की हार पर राजद के पूर्व विधायक और इसी सीट से विधायक रह चुके अनिल सहनी ने नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कुढ़नी में हार महागठबंधन की हार नहीं है, यह सिर्फ नीतीश कुमार की हार है। उन्होंने नीतीश कुमार को सीएम की गद्दी छोड़ने और तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी सौंपने की सलाह दी थी। इससे पहले भी आरजेडी के कई नेता यह मांग कर चुके हैं। हालांकि, तेजस्वी खुद इस मामले पर चुप हैं। बिहार की सियासत को समझने वाले लोग इसे नीतीश कुमार की और सियासी चाल की तरफ इशारा कर रहे हैं। उनका मानना है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले 2024 में महत्वपूर्ण लोकसभा का चुनाव होना है। महागठबंधन में सात दल हैं। आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है। सीट शेयरिंग में उसकी भूमिका अहम होने वाली है। लोग इस घोषणा को तेजस्वी और आरजेडी आलाकमान को खुश रखने की दिशा में एक कदम के तौर पर देख रहे हैं। आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी तेजस्वी यादव ने महागठबंधन का नेतृत्व किया था। इस चुनाव में एनडीए की अगुवाई नीतीश कुमार कर रहे थे। बाद में उन्होंने खुद को अलग कर लिया और तेजस्वी से हाथ मिला लिया।
बीजेपी ने कसा तंज
नीतीश कुमार के ताजा घोषणा पर बीजेपी भी तंज कर कस रही है। बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री नितिन नबीन ने कहा, "अगर नीतीश कुमार किसी को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं तो उन्हें सत्ता सौंपने के लिए नैतिक साहस दिखाना चाहिए। वह ऐसा नहीं कर पाएंगे क्योंकि इससे जेडीयू में विद्रोह होगा। उनकी पार्टी के लोग पहले से परेशान हैं। तेजस्वी रिमोट कंट्रोल से शो चला रहे हैं।''