November 29, 2024

हजारो गंभीर अपराधों की भी जांच अधर में, डीएनए जांच में देरी बनी मुख्य वजह

0

 भोपाल
 मध्य प्रदेश में डीएनए के 9 हजार से ज्यादा जांच पेडिंग हैं। इसके चलते प्रदेश में गैंग रेप, रेप जैसे कई गंभीर अपराधों की भी जांच में तेजी नहीं आ पा रही है। इन जांचों के चलते  इतने ही प्रकरण प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि पुलिस के आला अफसरों को प्रदेश में नई खुलने वाली डीएनए जांच लैब से पेंडेंसी कम होने की उम्मीद है।

प्रदेश में डीएनए जांच की पेंडेंसी लगातार बढ़ती ही जा रही है। हर साल इसका आंकड़ा हजारों में पहुंचता जा रहा है। दरअसल प्रदेश में डीएनए के लैब की क्षमता इतनी नहीं हैं, जितने तेजी से ऐसे मामले दर्ज होते हैं, जिनमें डीएनए टेस्ट की जरुरत होती है। प्रदेश में इन दिनों जो लैब हैं वे उनकी क्षमता 600 टेस्ट करने तक की ही है। ऐसे में प्रदेश पुलिस के सामने इन 9 हजार पेडिंग मामलों को निपटाने की चिंता है।

रिपोर्ट नहीं आने से बच जाते हैं आरोपी
दुष्कर्म की शिकार कई महिलाएं सिर्फ इसलिए दोषियों को सजा नहीं दिला पा रही हैं क्योंकि उनकी डीएनए रिपोर्ट कोर्ट में ट्रायल के दौरान तक नहीं आती है। प्रदेश में फिलहाल भोपाल, सागर और इंदौर में कुल 5 फोरेंसिक साइंस लैब हैं, जहां डीएनए टेस्ट होता है।  सबसे ज्यादा  सैंपल सागर और  भोपाल लैब में पेंडिंग हैं। इंदौर की लैब पिछले साल बनी है इसलिए वहां पर ऐसी जांचों की संख्या अभी कम है। खास बात यह है कि पेडिंग जांचों में से 80 से 90 प्रतिशत सैंपल दुष्कर्म से जुड़े मामलों के हैं।

रेप के मामले में जरूरी होता है डीएनए टेस्ट
दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों में डीएनए रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। डीएनए रिपोर्ट के आधार पर कई बार आरोपी को दोषी साबित करने में पुलिस को आसानी भी होती है। इस रिपोर्ट के चलते ही प्रदेश में दो दर्जन के लगभग आरोपियों को फांसी की सजा हो चुकी है।

डीजीपी जता चुके हैं चिंता
डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना भी इतनी पेंडेंसी पर चिंता जता चुके हैं। उनके लिए यह बड़ी चुनौती है कि इतनी बड़ीं संख्या में पेडिंग जांच को कैसे पूरा किया जाए। हैदराबाद सहित अन्य प्रांतों की लैबों में इन जांचों को करवाने के लिए भारी बजट की जरुरत पड़ती है। इन जांचों को दूसरी लैबों में करवाने का प्रस्ताव गृह विभाग तक जाता है। वहां से मंजूरी के बाद ये जांच भेजी जाती है, लेकिन यह भी एक बार में ज्यादा नहीं भेजी जाती। अब प्रदेश में ग्वालियर में नई लैब जल्द शुरू किये जाने के प्रयास हो रहे हैं। वहीं भोपाल में भी एक अतिरिक्त लैब तैयार होने जा रही है। माना जा रहा है कि इसके बाद भी पेडिंग जांचों को जल्द पूरा करना प्रदेश पुलिस के लिए आसान नहीं है।

शारीरिक शोषण किसने किया
दुष्कर्म के कई मामलों में भ्रूण के डीएनए सैंपल के भी लिए जाते हैं। इससे यह पता चलता है कि पीड़िता का शारीरिक शोषण किसने किया। ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है, जिसमें बच्चे का उसके माता-पिता से संबंध स्थापित करना हो।

सिर्फ 100 वैज्ञानिक
भोपाल, सागर और इंदौर फोरेंसिक साइंस लैब से करीब 100 वैज्ञानिक जुड़े हैं। इनमें एक-एक वैज्ञानिक हर जिले में सैंपल कलेक्शन का काम करता है। बाकी लैब में काम करते हैं। खाली पड़े पदों को भरने की कवायद तेज हो चुकी है। ऐसा माना जा रहा है कि इनके पद भी अगले साल भर दिए जाएंगे।

सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य
प्रदेश में हर साल लगभग साढ़े पांच हजार मामले दुष्कर्म के दर्ज होते हैं, जिसमें अधिकांश मामलों में पीड़िता और आरोपी के डीएनए सैंपल का मिलान किया जाता है। कोर्ट में डीएनए सैंपल को सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य माना जाता है। एक केस में पीड़िता और एक आरोपी है तो डीएनए के कम से कम चार सैंपल टेस्ट के लिए आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed