चीनी माल जैसी ही थीं ड्रैगन की वैक्सीन, अब कोरोना ले सकता है लाखों जानें
नई दिल्ली
कोरोना वायरस को लेकर बीते कई महीनों से माना जा रहा था कि अब शायद यह बीती बात हो गया है, लेकिन चीन में फिर तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। इसके चलते दुनिया भर में एक बार फिर से कोरोना के पैर पसारने का खतरा पैदा हो गया है। इस बीच भारत के पूर्व राजनियक केपी फाबियान का कहना है कि चीन में नई लहर बड़ा खतरा हो सकती है। उन्होंने कहा कि अकेले चीन की ही 60 फीसदी आबादी कोरोना की जद में आ सकती है। इसके अलावा दुनिया की कुल 10 फीसदी आबादी संक्रमित होगी और लाखों लोगों की जानें जा सकती हैं।
लंदन स्थित ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस फर्म एयरफाइनिटी के मुताबिक यदि चीन इस मौके पर अपनी जीरो कोविड पॉलिसी में ढील देता है तो फिर संकट बढ़ेगा। संस्था का कहना है कि चीन में कोरोना टीकों की दर कम रही है। इसके अलावा बूस्टर डोज की संख्या भी बेहद कम है। यही नहीं हाइब्रिड इम्युनिटी का भी चीन में अभाव है। ऐसी स्थिति में चीन में 13 से 21 लाख लोगों की कोरोना से मौत हो सकती है। इंटेलिजेंस फर्म ने कहा, 'चीन में कोरोना को लेकर इम्युनिटी की कमी है। वहां के लोगों को चीन में ही बनी सिनोवैक और सिनोफार्म वैक्सीन ही लगी है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है।'
2019 में ही फाबियान ने उजागर किया था चीन का संकट
ऐसी स्थिति में चीन के लिए कोरोना से निपटना मुश्किल होगा। केपी फाबियान ने भी कहा कि कोरोना से निपटने का चीन का तरीका गलत रहा है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि उनकी वैक्सीन कमजोर रही है। इसके अलावा उन्होंने दूसरे देशों से बेहतर टीके भी लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि चीन ने अब तक टीकों से ज्यादा पाबंदियों पर ही फोकस किया है। अब जीरो कोविड पॉलिसी में कुछ ढील दी गई है और इससे पूरी दुनिया के लिए टेंशन बढ़ सकती है। खासतौर पर ऐसे मोड़ पर यह चिंता बढ़ेगी, जब भारत समेत दुनिया के कई देश मान रहे थे कि अब कोरोना संकट से मुक्ति मिल गई है।
कोरोना को निमोनिया बताकर सच्चाई छिपाता रहा चीन
केपी फाबियान ने 2019 में ही महामारी को लेकर चीन के रवैये को उजागर किया था। उन्होंने बताया था कि कैसे चीन दुनिया से कोरोना को लेकर सच्चाई छिपा रहा है। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि दिसंबर 2019 तक चीन में कोरोना महामारी का रूप ले चुका था। लेकिन चीन ने दुनिया से इस बीमारी को छिपाया और फिर संकट बढ़ता चला गया। चीन शुरुआती दौर में कोरोना संक्रमण के मामलों को निमोनिया ही बता रहा था।