मछली पालन से महिला स्व सहायता समूह स्वावलंबन की ओर अग्रसर, मनरेगा का तालाब बना संसाधन
बैकुण्ठपुर
महात्मा गांधी नरेगा और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के माध्यम से महिलाओं के उत्थान की प्रक्रिया जिले में निरंतर प्रगतिरत है। महिलाओं के संगठनात्मक एकता को स्वावलंबन की दिशा में आगे ले जाने के लिए महात्मा गांधी नरेगा के संसाधन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गांव के एक तालाब की स्थिति अच्छी नहीं थी परंतु महात्मा गांधी नरेगा के तहत उसके जीर्णोद्धार से अब गांव की महिलाओं को एक निश्चित आय का साधन प्राप्त हो गया है। यह सफल कार्य एमसीबी जिले के जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत महाई में महिलाओं के समूह ने कर दिखाया है। ग्राम पंचायत महाई के ग्राम लामदाही स्कूल पारा में बने तालाब की स्थिति अच्छी नहीं होने के बाद उसमें ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर मनरेगा से गहरीकरण कार्य पूर्ण हो जाने के बाद मां भवानी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने मछली पालन का रोजगार प्रारंभ किया। इस स्वरोजगार से हर माह महिला समूह को पांच से छ हजार रूपए की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होने लगी है। आने वाले गर्मियों तक यह लाभ और भी ज्यादा होने की उम्मीद है। ग्राम पंचायत महाई के समूह की महिलाओं को स्वावलंबन की दिशा में यह कार्य महती भूमिका निभा रहा है।
मां भवानी महिला समूह की अध्यक्ष श्रीमती गौरावती और सचिव श्रीमती अनुराधा सिंह ने बताया कि पहले गांव के इस तालाब का हम लोग केवल दैनिक उपयोग के लिए पानी लेते थे। वर्षों पूर्व बने तालाब का सतत उपयोग के बाद गाद होने के कारण जलभराव कम हो गया था, जिससे यह तालाब ठंड के बाद सूखने लगता था। उसके बाद ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती अगसिया बाई से इस तालाब को गहरीकरण कराए जाने की मांग पर ग्राम सभा में इसके लिए प्रस्ताव पारित कर जनपद पंचायत को भेजा गया। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर महात्मा गांधी नरेगा के तहत जिला पंचायत से वर्ष 2019-20 में तालाब के गहरीकरण के लिए 4 लाख 30 हजार रुपए स्वीकृत हुए। ग्राम पंचायत द्वारा लगभग तीन माह माह में ही तालाब का गहरीकरण कार्य पूरा कराया गया और गत वर्ष बारिश के बाद से इसमें मछली पालन का कार्य समूह की महिलाओं को प्राप्त हुआ। समूह की महिला सदस्य श्रीमती उर्मिला, सुमित्रा, सीतादेवी सहित अन्य सदस्यों ने अपने परिजनों के साथ मिलकर इस तालाब में मछली पालन का कार्य प्रारंभ किया। इस कार्य प्रारंभ में उन्हे बिहान से प्राप्त अनुदान राशि के माध्यम से बीज के रूप में 12 हजार की लागत आई। अब तक यह समूह लगभग 45 हजार रुपए की मछली बाजार में बेचकर लाभ कमा चुका है। समूह के सदस्यों ने बताया कि अभी और लाभ होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर एक छोटा सा संसाधन अब महिलाओं के परिवार के लिए एक अतिरिक्त आमदनी का अच्छा साधन बन गया है।