G-20 Meeting: अमिताभ कांत बोले- पहली बार भारत के बनाए एजेंडे पर प्रतिक्रिया दे रहे विकसित देश
नई दिल्ली
G20 Meeting मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के एजेंडे के साथ सभी देशों के बीच सहमति बनाने की कोशिशों में जुटे जी20 में भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने दैनिक जागरण के विशेष संवादाता नीलू रंजन और राजीव कुमार से बातचीत की है। आइए जानें आखिर क्या बोले अमिताभ कांत..
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत की अध्यक्षता में जी-20 की बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है। सितंबर में होने वाले शिखर सम्मेलन में दुनिया के शीर्ष 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेंगे। भारत भी जी 20 की अध्यक्षता की तैयारी को यादगार बनाने में जुटा है, जो भारत को भी बदले और दुनिया को भी नई दिशा दिखाएगा। इस बीच मौजूदा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के एजेंडे के साथ सभी देशों के बीच सहमति बनाने की कोशिशों में जुटे जी20 में भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने दैनिक जागरण के विशेष संवादाता नीलू रंजन और राजीव कुमार से बातचीत की है।
जी-20 बैठकों को हम दुनिया के लिए यादगार कैसे बनाएंगे?
अमिताभ कांत ने कहा कि इन बैठकों को हमेशा याद किया जाएगा, क्योंकि ये परिवर्तनकारी होंगी। ये बैठकें भारत को भी बदलेंगी और दुनिया का भी मार्गदर्शन करेंगी। जी-20 अन्य बैठकों से अलग है। ये पूरे साल चलेंगी। जी-20 की 215 बैठकें देश के 56 शहरों में होंगी। इन शहरों को पूरी तरह से बदलने का मौका मिलेगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस दौरान अपनी सांस्कृतिक विरासत, खानपान, हस्तकला को दुनिया के सामने पेश करने का मौका मिलेगा। हर राज्य को देश-विदेश में अपना ब्रांड बनाने का मौका मिलेगा।
राजनीतिक दलों का आरोप, रूटीन बैठकों को अनूठा बनाकर पेश किया जा रहा
कांत ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राजनीति की तरफ मैं जाना नहीं चाहता। हमारा लक्ष्य सिर्फ यह देखना है कि हम इस अवसर का कैसे उपयोग करें, जिसका भारत के साथ-साथ दुनिया पर भी प्रभाव पड़े। इसे पेशेवर तौर पर करें और भारत की ब्रांडिंग करें। भारत को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की तरह खड़ा करें। पिछले 75 वर्षों में एजेंडा सिर्फ विकसित देश तय करते थे और हम प्रतिक्रिया जताते थे। यह पहली बार है कि एजेंडा भारत बना रहा है और विकसित देश उस पर बढ़ रहे हैं। इंडिया नैरेटिव को स्थापित करने का यह बहुत बड़ा अवसर है।
भारत ने जो एजेंडा बनाया है, उस पर कितनी सहमति बन पाई है?
अमिताभ कांत ने कहा कि अभी तो सभी देशों को एकजुट करने की शुरुआत भर हुई है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर 215 बैठकें होंगी। इन बैठकों का लक्ष्य ही सहमति बनाना होगा, ताकि हम अपनी प्राथमिकताओं को मनवाएं और आगे ले चलें।
जी-20 कोरोना और यूक्रेन-रूस युद्ध से आई आर्थिक चुनौतियों से कैसे पार पाएगा
कांत ने इस सवाल के जवाब में कहा कि चुनौतियां बड़ी हैं। कोरोना ने 20 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के नीचे पहुंचा दिया। 10 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। इकोनमी का ग्लोबल स्लो डाउन है। क्लाइमेट फाइनेंस की चुनौतियां हैं। हर चुनौती एक अवसर देता है। हमारी कोशिश सभी की सहमति से एक ऐसा नेतृत्व देना है, जो इन चुनौतियों से दुनिया को बाहर निकाल सके।