चुस्त और तंदुरुस्त हैं अफ्रीकी चीते, सरकार बोली- जंगल में नहीं कोई दिक्कत
नई दिल्ली
पांच मादा और तीन नर अफ्रीकी चीते 20 घंटे और आठ हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके अपने नए घर भारत पहुंचे हैं। इनको विशेष बोइंग 747 विमान के जरिए भारत लाया गया था। इनको कुछ दिन तक निगरानी में रखा गया। मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए आठ अफ्रीकी चीतों में स्वास्थ्य संबंधी कोई जटिलता सामने नहीं आई है। यह जानकारी राज्यसभा में भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की ओर से पूछे गए एक सवाल के जवाब में पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने दी। उन्होंने यह भी कहा कि सभी आठ चीतों को जंगल में छोड़ दिया गया है और उनमें से किसी को भी बंद करके नहीं रखा गया है।
चौबे ने बाघों के स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, 'नहीं सर, चीतों में कोई स्वास्थ्य जटिलता सामने नहीं आई है।' मंत्री ने यह भी साझा किया कि भारत अगले पांच वर्षों के दौरान दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया या अन्य अफ्रीकी देशों से हर साल 12 से 14 चीतों को ला सकता है।
पीएम मोदी ने 17 सितंबर को कुनो में छोड़ा था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर नामीबिया से आठ चीतों के पहले समूह को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था। वर्ष 1952 में देश में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के 70 साल बाद उन्हें भारत वापस बसाने का प्रयास किया गया है। आठ चीतों में साढ़े पांच साल के 2 नर, एक साढ़े 4 साल का नर, ढाई साल की 1 मादा, 4 साल की 1 मादा, दो साल की 1 मादा और 5 साल की 2 मादा भी शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने चीतों की संख्या बढ़ाने का दिया था सुझाव
भारत में करीब 74 साल पहले गायब हो चुके चीता की प्रजाति को सरंक्षित करने के लिए चीता प्रोजेक्ट बनाया गया। जिसके तहत नामीबिया से भारत में चीते लाए गए। गत 16 जून को कूनो में तैयारियों का जायजा लेने आए दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के विशेषज्ञों ने यहां चीतल की और संख्या बढ़ाए जाने का सुझाव दिया था।