भरत चरित्र सुनने वाले को राम-जानकी से स्वत: हो जाता है प्रेम:पं. दीक्षित
भिलाई
शिवानंद योग निकेतन नेहरू नगर भिलाई के तत्वावधानमें जारी रामकथा कथा व्यास पंडित नीलमणि दीक्षित ने भरत चरित्र पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोई भी भरत चरित्र को प्रेम और आदर पूर्वक सुनता है तो उनका श्रीराम और जानकी जी के चरणो में प्रेम स्वत: हो जाता है।
उल्लेखनीय है कि शिवानंद योग निकेतन की ओर से विगत 15 वर्षों से श्री राम कथा का आयोजन हो रहा है। छत्तीसगढ़ के शिक्षाविद,आध्यात्मिक पुरुष व वेद पुराणों के ज्ञाता मदन मोहन त्रिपाठी चेयरमैन कृष्णा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन के मार्गदर्शन में कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर भिलाई में इस बार 7 दिवसीय रामकथा का आयोजन किया जा रहा है। यहां 24 से 30 दिसंबर तक रोजाना अपराह्न 3 बजे से शाम 6 बजे तक कथा व्यास पंडित नीलमणि दीक्षित मंडल दमोह द्वारा नित्य सत्संग किया जा रहा है। हरि नाम संकीर्तन में निमग्न मधुर सरस राम कथा के प्रवक्ता पंडित दीक्षित ने देश-विदेश में अपने श्रीमुख से प्रवचन और गायन से लाखों लोगों को श्री राम की भक्ति में सराबोर कर दिया है।
तीसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों का माल्यार्पण कर किया गया। अभिनंदन पश्चात तीसरे दिन के कार्यक्रम में सोमवार को मुख्य वक्ता नीलमणि दीक्षित,मदनमोहन त्रिपाठी व अन्य अतिथियों ने भगवान श्रीराम का पूजन और माल्यार्पण किया। कथा के पूर्व पाठ का व्याख्यान का शुभारंभ करते हुए एमएम त्रिपाठी ने पंडित नीलमणि को भरत चरित्र की पीयूष धारा को प्रवाहित प्रवाहित करने वाले कहकर उन्हें प्रणाम कर सम्मानित किया। उन्होंने अपने श्री मुख से श्री राम और भरत के अपार प्रेम व स्नेह को व्यक्त करते हुए कहा कि भरत का निस्वार्थ प्रेम समाज को सीख देता है।
पंडित दीक्षित ने अपने मधुर कंठ से गायन व व्याख्यान के माध्यम से भारत के सुंदर चरित्र का वर्णन करते हुए कहा- भरत चरित कर नेम तुलसी जे सादर सुनहिं। सिय राम पद प्रेम अवश्य होय, अवश्य होय भव रस विरक्ति। तुलसीदास की इन पंक्तियों की व्याख्या करते हुए कहा कि-कोई भी भरत चरित्र को प्रेम और आदर पूर्वक सुनता है तो उनका श्रीराम और जानकी जी के चरणो में प्रेम स्वत: हो जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है वह इस कदर प्रेम में डूब जाते हैं कि सांसारिक माया मोह से उन्हें विरक्ति हो जाती है।
उन्होंने भरत लाल को प्रेम की मूर्ति बताते हुए कहा कि भरत के पास देने के लिए सिर्फ प्रेम है और उनके चरित्र को सुनकर आप भी ईश्वर से प्रेम और भक्ति अवश्य डूब जाते हैं। उन्होंने व्याख्यान में यह भी कहा कि राम और भरत का मिलाप संसार की अनूठी घटना है। इस घटना के निहितार्थ में विश्वबंधुत्व का वह पवित्रतम निर्मल भाव निहित है, जिसमें की संपूर्ण मानव जाति को एकजुट करने का सामाजिक सौहार्द्र समाहित हो गया है। तीसरे दिन के कार्यक्रम में मुख्य रूप से नरेश खोसला, आनंद त्रिपाठी, प्रमोद त्रिपाठी, कृष्ण त्रिपाठी व अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।