November 24, 2024

 पुतिन का फरमान-प्राइस कैप का इस्तेमाल करने वाले देशों को फरवरी से तेल निर्यात नहीं करेगा रूस

0

मॉस्को
रूसी कच्चे तेल के खिलाफ यूरोपीय संघ, जी7 और ऑस्ट्रेलिया द्वारा तय की गई 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा के प्रतिशोध में रूस ने मंगलवार को प्राइस कैप का पालन करने वाले देशों और कंपनियों को तेल की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी किया, मीडिया रिपोटरें से यह जानकारी सामने आई है। राष्ट्रपति के फरमान के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, विदेशी कानूनी संस्थाओं और व्यक्तियों को रूसी तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति प्रतिबंधित है, अगर इन आपूर्ति के अनुबंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राइस कैप का पालन कर रहे हैं।

रूसी क्रूड पर प्राइस कैप इस महीने की शुरूआत में लागू हुआ था। यह फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के जवाब में लगाया गया था। रिपोटरें के अनुसार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विशेष निर्णय के आधार पर व्यक्तिगत मामलों में प्रतिबंध हटाया जा सकता है।

प्राइस कैप का फैसला क्यों लिया गया?
बता दें कि कि यूरोपीय यूनियन ने 5 दिसंबर को रूस के क्रूड के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद G-7 देशों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने रूस के तेल पर 60 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस कैप लगा दी। इस फैसले के पीछे की मंशा इन देशों की यह थी कि रूस की अर्थव्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाए।

प्राइस कैप को लेकर भारत का स्टैंड
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसपर पश्चिमी देशों ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए। इसके बाद रूस ने रियायती दरों पर कच्चे तेल की बिक्री शुरू कर दी। ऐसे में भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में सस्ता कच्चा तेल खरीदना शुरू किया। कुछ दिनों पहले ही रूस ने जी-7 और उसके सहयोगियों की ओर से उसके कच्चे तेल के लिए प्राइस कैप का समर्थन नहीं करने के भारत के फैसले का स्वागत किया था। इसके साथ ही रूस ने यूरोपीय संघ और ब्रिटेन की ओर से बीमा सेवाओं व टैंकर को लेने की सुविधा पर रोक के बीच भारत को पट्टे पर बड़ा जहाज लेने के लिए सहयोग की पेशकश की।

यह आदेश 1 फरवरी 2023 से 1 जुलाई 2023 तक प्रभावी रहेगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *