सरकार बनाते ही वामपंथियों ने नेपाल में दिखाया अपना रंग, 3 साल बाद चीन के साथ व्यापार मार्ग खोला
चीन
नेपाल की सत्ता में वामपंथियों की वापसी हो चुकी है और इसके साथ ही नेपाल ने एक बार फिर से चीन के साथ गलबाहियां करनी शुरू कर दी हैं। पुष्प कमल दहल प्रचंड एक बार फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री बन गये हैं और उम्मीदों के मुताबिक ही, उन्होंने चीन की गोदी में खेलने का फैसला लिया है। नेपाल ने तीन सालों के बाद एक बार फिर से चीन के लिए महत्वपूर्ण ट्रेड रूट खोलने का फैसला लिया है और नेपाली सरकार का ये फैसला बताता है, कि आने वाले दिनों में नेपाल की चीन को लेकर नीति क्या होने वाली है।
नेपाल-चीन के बीच ट्रेड रूट खुला नेपाली अधिकारियों ने कहा है कि, नेपाल और चीन के बीच पिछले तीन सालों से बंद व्यापारिक ट्रांजिट रूट खुल गया है, जो कोविड महामारी की वजह से बंद था। चीन ने अपने देश की सीमा को पूरी तरह से खोल दिया है, जिसके बाद आशंका जताई जा रही है, कि चीनी कोरोना वायरस एक बार फिर से पूरी दुनिया में कहर बरपा सकता है। नेपाल ने चीन के साथ ट्रांजिट व्यापार रूट उस वक्त खोलने का फैसला किया है, जब नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल "प्रचंड", जो चीन के करीबी माने जाते हैं, उन्होंने नेपाल के नये प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली है।
कार्यक्रम का किया गया था आयोजन नेपाली विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि, बुधवार को केरुंग-रसुवागढ़ी सीमा बंदरगाह से व्यापार की आधिकारिक बहाली के लिए एक समारोह आयोजित किया गया था। बयान में कहा गया है कि, "नेपाल और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के बीच रसुवा/केरुंग बंदरगाह ने बुधवार से आधिकारिक रूप से दोतरफा व्यापार के लिए अपना संचालन फिर से शुरू कर दिया है।" काठमांडू पोस्ट अखबार ने ल्हासा स्थित वाणिज्य दूतावास जनरल नवाज ढकाल के हवाले से कहा कि, चीन को माल का निर्यात मंगलवार से फिर से शुरू हो गया है। बंदरगाह 1961 में औपचारिक ऑपरेशन में आया था। नेपाल में चीनी दूतावास ने समारोह की तस्वीरें जारी कीं और एक बयान में कहा कि, चीन नेपाल से और अधिक सामान आयात करने के लिए उत्सुक है।