November 23, 2024

जब मोदी परिवार का सदस्य बना अब्बास, हीराबेन ने अपने ही बच्चों की तरह की थी देखभाल

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 नई दिल्ली 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी नहीं रहीं। शुक्रवार को 100 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए श्रद्धांजलि दी है। इस मौके पर पीएम ने मां के 100वें जन्मदिन पर हुई मुलाकात को याद किया है। खास बात है कि उन्होंने जून में अपनी मां के लिए एक ब्लॉग भी लिखा था, जिसमें हीराबेन के जीवन की कहानियां और अब्बास के मोदी परिवार का सदस्य बनने का जिक्र मिलता है।

कैसे मोदी परिवार का सदस्य बना अब्बास
18 जून 2022 को लिखे ब्लॉग में पीएम मोदी ने अपने पिता के एक दोस्त का किस्सा भी शामिल किया था। उन्होंने लिखा था, 'मां हमेशा दूसरों को खुश देखकर खुश रहा करती हैं। घर में जगह भले कम हो लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है। हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक गांव था जिसमें मेरे पिताजी के बहुत करीबी दोस्त रहा करते थे। उनका बेटा था अब्बास। दोस्त की असमय मृत्यु के बाद पिताजी अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे।' 
 

हीराबेन की देखरेख में ही हुई अब्बास की पढ़ाई
अब्बास पिता के निधन के बाद ना केवल मोदी परिवार का हिस्सा बना, बल्कि उनकी देखरेख भी हीराबेन ने ही की। पीएम मोदी ने लिखा था, 'एक तरह से अब्बास हमारे घर में ही रहकर पढ़ा। हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं। ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं। त्योहारों के समय आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे। उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था।'

सफाई वालों को भी पता था चाय का पता
पीएम मोदी ने बताया था कि उनकी मां को सफाई का बहुत शौक था। आलम यह था कि घर के बाहर भी सफाई करने वालों का हीराबेन पूरा ध्यान रखती थीं। ब्लॉग के अनुसार, 'मां में एक और खास बात रही है। जो साफ-सफाई के काम करता है, उसे भी मां बहुत मान देती है। मुझे याद है, वडनगर में हमारे घर के पास जो नाली थी, जब उसकी सफाई के लिए कोई आता था, तो मां बिना चाय पिलाए, उसे जाने नहीं देती थीं। बाद में सफाई वाले भी समझ गए थे कि काम के बाद अगर चाय पीनी है, तो वो हमारे घर में ही मिल सकती है।'

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
पीएम मोदी ने लिखा, 'शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम… मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है।' उन्होंने एक और ट्वीट किया, 'मैं जब उनसे 100 जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि કામ કરો બુદ્ધિથી, जीवं जव्वा जियो जियो जियो से काम और शुद्ध जीवन और शुद्ध।'
 

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