‘कोच का काम सिर्फ यह नहीं कि…’, इस युवा क्रिकेटर के सपोर्ट में उतरे गौतम गंभीर, राहुल द्रविड़ से की खास गुजा
नई दिल्ली
हाल ही में श्रीलंका सीरीज के लिए भारत के टी20 और वनडे स्क्वॉड का ऐलान किया गया, जिसमें कई युवा खिलाड़ियों को चुना गया। लेकिन पृथ्वी शॉ एक बार फिर भारतीय टीम में जगह बनाने में नाकाम रहे। मुंबई के सलामी बल्लेबाज शॉ ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में शानदार फॉर्म दिखाई। वह टूर्नामेंट में सर्वाधिक रन बनाने वाले प्लेयर रहे। उन्होंने 181.42 के बेहतरीन स्ट्राइक रेट से 336 रन जोड़े। शॉ ने जुलाई 2021 के बाद से भारत के लिए कोई मैच नहीं खेला है। उन्होंने 2018 में डेब्यू के बाद से कुल 12 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले हैं।
शॉट साल 2019 में डोपिंग में फंस गए थे, जिसके बाद उन्हें 8 महीने के लिए निलंबित कर दिया गया। तब से उनका अनुशासन हमेशा सवालों के घेरे में रहा है। उन्होंने डोपिंग मामले को पीछे छोड़ते हुए क्रिकेट में शानदार वापसी की पर भारतीय टीम मैनजमेंट ने उनपर कोई खास तवज्जों नहीं दी। हालांकि, भारत के पूर्व दिग्गज ओपनर गौतम गंभीर का मानना है कि यह चयनकर्ताओं और कोचिंग स्टाफ की जिम्मेदारी है कि वह क्वालिटी प्लेयर शॉ का ध्यान रखें। उन्होंने साथ ही टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ से एक खास गुजारिश की।
गंभीर ने स्टार स्पोर्ट्स पर बातचीत के दौरान कहा, ''कोच किस लिए हैं? चयनकर्ता किस लिए हैं? वो सिर्फ थ्रो-डाउन और उन्हें तैयार करने के लिए नहीं हैं। आखिरकार, चयनकर्ता, कोच और प्रबंधन को ऐसे खिलाड़ियों के लिए कोशिश और उनकी मदद करनी चाहिए। पृथ्वी शॉ जैसा खिलाड़ी, जिसकी प्रतिभा के बारे में हम सभी जानते हैं। शायद उसे सही ट्रैक पर लाना चाहिए और यही मैनेजमेंट का काम है।''
उन्होंने कहा, ''मुझे लगता है कि अगर फिटनेस या लाइफस्टाइल का मसला है तो किसी को – चाहे वह राहुल द्रविड़ हों या चयनकर्ताओं के अध्यक्ष – वाकई शॉ के साथ बात करना चाहिए। उसे क्लियरटी दें और उसे ग्रुप के साथ रखें। जो लोग सही ट्रैक पर होने चाहिए, उन्हें ग्रुप के करीब होना चाहिए ताकि उन्हें बेहतर तरीक से मॉनिटर किया जा सके। क्योंकि जिस पल आप उन्हें अलग छोड़ देते हैं तो वे कहीं भी जा सकते हैं।''
गंभीर ने आगे कहा, "पृथ्वी शॉ ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की जैसी शुरुआत थी और जिस तरह की प्रतिभा उसके पास है तो ऐसे में आपको उस खिलाड़ी का समर्थन करना चाहिए। हां, आपको परवरिश को भी देखना होगा। वह कहां से यहां तक पहुंचा है और उसने किन चुनौतियां का सामना किया है। यह प्रबंधन और चयनकर्ताओं पर है कि उसका ख्याल रखें और सही ट्रैक पर लाने में मदद करें।''