DEXA टेस्ट करेगा खिलाड़ियों का चयन, जानें कैसे होगा इससे टीम इंडिया को फायदा
नई दिल्ली
डेक्सा स्कैन में एक्स रे तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो हड्डियों की मजबूती को मापता है। इसके अलावा ये टेस्ट विकसित होने से पहले ही हड्डी में किसी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाओं को बता देता है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने खिलाड़ियों में बढ़ती चोट की समस्या को देखते हुए समीक्षा बैठक में बड़ा फैसला लिया है। पहले टीम में चयन से पहले खिलाड़ियों को सिर्फ यो-यो टेस्ट से गुजरना होता था, लेकिन अब बोर्ड ने DEXA को भी चयन के आधार का भाग बना लिया है। अगर इस स्कैन में किसी तरह की कोई समस्या पाई जाती है तो खिलाड़ी को टीम में नहीं चुना जाएगा। तो आइए जानते हैं क्या होता है DEXA और खिलाड़ियों के लिए यह क्यों जरूरी है।
डेक्सा स्कैन में एक्स रे तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो हड्डियों की मजबूती को मापता है। इसके अलावा ये टेस्ट विकसित होने से पहले ही हड्डी में किसी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाओं को बता देता है।
डेक्सा को बोन डेंसिटी टेस्ट भी कहा जाता है। यह एक विशेष प्रकार का एक्स रे होता है। इसमें दो प्रकार की बीम बनती है जिनमें एक हाई एनर्जी और दूसरा लो एनर्जी बीम होता है। ये दोनों बीम हड्डी के अंदर से गुजर कर एक्स रे करते हैं और एक मशीन के द्वारा एक्स रे की मात्रा को मापा जाता है। इस दौरान यह भी ध्यान में रखा जाता है कि हड्डी की मोटाई कितनी है। दोनों बीम के द्वारा बनाए गए एक्स रे के अंतर के आधार पर डॉक्टर बोन डेंसिटी माप सकते हैं।
बता दें, आज टी20 वर्ल्ड कप 2022 के परफॉर्मेंस की समीक्षा बैठक हुई थी। इस बैठक में अध्यक्ष रोजर बिन्नी के अलावा सचिव जय शाह, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़, एनसीए प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण और पूर्व चयनकर्ता समिति के प्रमुख चेतन शर्मा मौजूद थे। इस मीटिंग में खिलाड़ियों के चयन के आधार के अलावा भी कई फैसले लिए गए।
बैठक के दौरान आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 के रोडमैप के साथ-साथ खिलाड़ी की उपलब्धता, वर्कलोड मैनेजमेंट और फिटनेस मापदंडों के मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस मीटिंग में कई फैसले भी लिए गए कि डोमेस्टिक क्रिकेट के जरिए सलेक्शन कैसे होगा और फिटनेस के पैमाने क्या होंगे। बीसीसीआई ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि भी कर दी है।