विपक्षी एका में UP डालेगा खटाई? कांग्रेस-बसपा को भाव देने को तैयार नहीं अखिलेश, उपचुनाव के बाद बदली सपा की रणन
लखनऊ
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को घेरने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा बनाने की कवायद जरूर चल रही है लेकिन इसमें सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से ही खटाई पड़ती नज़र आ रही है। यहां विपक्षी दल अलग-अलग ही राग आलाप रहे हैं। यहां मुख्य विपक्षी दल सपा अपने आगे कांग्रेस और बसपा को कोई भाव देने को तैयार नहीं है। मैनपुरी और खतौली उपचुनाव में जीत से उनके हौसले बुलंद और चाचा शिवपाल सिंह यादव का साथ मिलने की वजह से आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। सपा पूरी ताकत से अपना आधार बढ़ाने में जुटी है। वो कांग्रेस और भाजपा को एक बता रही है। उधर, कांग्रेस भी सपा में राष्ट्रीय विचारधारा का अभाव बता रही है। मायावती भाजपा, कांग्रेस और सपा तीनों के खिलाफ हैं। हाल में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने भाजपा-कांग्रेस को एक जैसी पार्टी और सपा को आरक्षण विरोधी बताया है।
हाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अखिलेश यादव के आए बयान इस बात की तस्दीक करते हैं कि यूपी में बड़े दलों की एकजुटता संभव नहीं है। बड़ी मुश्किल से यूपी की दो ध्रुव वाली बनी सियासत में सपा अब न कांग्रेस को कोई स्थान देना चाहती है और न ही बसपा को। अखिलेश चाहते हैं कि यूपी में लड़ाई आमने सामने की हो और कोई तीसरे या चौथे की गुंजाइश न रहे। उन्हें रालोद और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन पर भरोसा है, हालांकि वह कमजोर होता दिखता है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा यूपी में तीन जनवरी को यूपी में प्रवेश करेगी। कांग्रेस ने इस यात्रा के जरिए यूपी के विपक्षी दलों को जुड़ने का आमंत्रण दिया। सपा ने तो यात्रा का निमंत्रण मिलने से साफ इंकार कर दिया। तो रालोद और बसपा भी इससे दूरी बनाए रखे हुए है। जाहिर है कि 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य में कांग्रेस लोकसभा चुनाव का एजेंडा राष्ट्रीय मुद्दों पर सेट करना चाहती है, जिससे सपा व बसपा व अन्य दलों के मुकाबले कांग्रेस आगे बढ़ती दिखे। ऐसे में यूपी में भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनने की गुंजाइश कम ही दिखती है।
मोर्चा बनाने में सक्रिय अखिलेश भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा बनाने की मुहिम में सक्रिय है। इसके लिए पश्चिम बंगाल, तेलंगाना व बिहार के सीएम मशक्कत कर रहे हैं। अखिलेश इन सबसे मुलाकात कर विपक्षी एका पर जोर दे रहे हैं।