भागलपुर के इन दो प्रखंडों में खनिज पदार्थ के संकेत मिले, होगा जीएसआई सर्वे
बिहार
झारखंड स्थित राजमहल की पहाड़ी पर मौजूद खनिज पदार्थ की संभावना को लेकर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण), देहरादून द्वारा सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे के दायरे में भागलपुर का दो प्रखंड क्षेत्र भी है। पहाड़ी की जड़ें कहलगांव और पीरपैंती तक फैले होने की संभावना को देखते हुए जीएसआई की टीम यहां भी सर्वे करेगी। ये दो क्षेत्र खनिज पदार्थ के लिए पूर्व से चिह्नित भी हैं। सर्वे में निदेशक रवि कुमार और दो जियोलॉजिस्ट सौरव कुमार और जगदीश कुमार शामिल हैं। यह टीम अभी राजमहल पहाड़ी बनने के कारणों का पता लगाएगी। इसके बाद यहां छिपे रहस्यों को उजागर करेगी।
पहाड़ी की चट्टानों में जेमस्टोन व फॉसिल्स होने की संभावना
सर्वे मैप के मुताबिक साहेबगंज के मंडरो, बोरियो, बरेहट गांव के अलावा झारखंड के ही पाकुड़, गोड्डा, दुमका और देवघर जिले के कुछ पथरीले इलाकों में पहाड़ी की जड़ें फैली हुई हैं। सर्वे टीम को स्थानीय स्तर पर भी मदद मिल रही है। इस टीम में साहेबगंज कॉलेज के भू-विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार सिंह भी हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ की जड़ें की तरह पहाड़ियों की जड़ें फैली होती हैं। सर्वे में पहाड़ी के फैलाव के अंतिम हिस्से तक का अध्ययन किया जाना है। पहाड़ी की चट्टानों में जेम स्टोन और फॉसिल्स (जीवाश्म) काफी मात्रा में होने की उम्मीद है। जेम स्टोन काफी महंगा होता है। अमेरिकन डायमंड के अलावा नौ ग्रह के कई रत्न यहां छिपे होने की उम्मीद है।
जीवाश्म मिला तो कार्बनिक विकास के प्रमाण मिलेंगे
उन्होंने बताया कि संपूर्ण इलाके के करीब 2900 वर्ग किमी क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जाना है। गोड्डा में बेस कैंप बनाया जाएगा। उन्होंने जीवाश्म के बारे में बताया कि इससे कार्बनिक विकास के ठोस प्रमाण मिलते हैं। जीवाश्म से लाखों वर्ष पूर्व जीवित जीवों के अवशेष चिह्नों के रूप में मिलते हैं। भागलपुर जिले के पीरपैंती और कहलगांव का भी सर्वेक्षण होगा। क्योंकि इन इलाकों के छोटे-बड़े पहाड़ का जुड़ाव राजमहल पर्वत शृंखला से ही है। बता दें कि कहलगांव के माधोरामपुर मौजा के 261 एकड़ जमीन में 350 फीट नीचे कोयला का भंडार मिला है। इसकी पुष्टि धनबाद स्थित सीएमपीडीआई ने भी कर दी है। कहलगांव के बटेश्वरस्थान, कासड़ी, जगन्नाथपुर की पहाड़ियों में प्रचूर मात्रा में खनिज भंडार होने की संभावना जीएसआई की टीम पहले ही कर चुकी है। वहीं, पीरपैंती क्षेत्र में कोयले के विशाल भंडार के अलावा यहां के चंडीपुर पहाड़ में फायर क्ले, सिलिका (क्रिस्टल पत्थर) के प्रमाण मिले हैं।