कानपुर में 24 घंटे में हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक से 25 की मौत, सर्दी में क्यों ज्यादा आते हैं हार्ट अटैक
कानपुर
उत्तर प्रदेश में शीतलहर दिन पर दिन घातक होती जा रही है। कानपुर में गुरुवार को हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक से 25 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 17 लोगों की चिकित्सा सहायता मिलने से पहले ही मौत हो गई। डॉक्टरों के मुताबिक ठंड में ब्लड प्रेशर का अचानक बढ़ जाना और खून का थक्का जमना हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक का कारण बन रहा है।
कार्डियोलॉजी संस्थान के कंट्रोल रूम के अनुसार गुरुवार को इमरजेंसी व ओपीडी में 723 हृदय रोगी आए।
इनमें से 41 मरीजों की हालत गंभीर थी, उन्हें भर्ती किया गया। गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज करा रहे सात हृदय रोगियों की ठंड के कारण मौत हो गई। इसके अलावा 15 मरीजों को मृत अवस्था में इमरजेंसी में लाया गया।
कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्ण ने कहा कि इस मौसम में मरीजों को ठंड से बचाना चाहिए।
लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के एक फैकल्टी सदस्य ने कहा, इस ठंड के मौसम में दिल के दौरे केवल बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं हैं। हमारे पास ऐसे मामले हैं जब किशोरों को भी दिल का दौरा पड़ा है।
गलन से बचें, पानी पीते रहें
गलन की स्थितियों में ठंडे पानी से बचाव करें। शरीर को पूरी तरह ढक कर निकलें। हाथ-पांव तापते रहें। अकारण घरों से न निकलें। गुनगुने पानी से नहाएं। पानी जरूर पीते रहें। तेज हवा चलने के दौरान छोटे बच्चों को धूप में खुला न छोड़ें।
सर्दियों में क्यों बढ़ते हैं हार्ट अटैक के मामले
ठंड में हर साल हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि होती है. डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने लगता है. इसी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक पड़ता है.
इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि इस सीजन में ब्लड वेसल्स सिकुड़ने के कारण शरीर में ब्लड फ्लो सही नहीं रह पाता है. इस वजह से दिल पर अधिक दवाब पड़ता है और हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती हैं और सख्त बन जाती हैं. इससे नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है. ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
इसके अलावा सोते समय शरीर की एक्टिविटीज स्लो हो जाती हैं. बीपी और शुगर का लेवल भी कम होता है. लेकिन उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है. यह सिस्टम हर मौसम में काम करता है. लेकिन ठंड के दिनों में इसके लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे जिन्हें हार्ट की बीमारी है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
छाएगा घना कोहरा, अलर्ट जारी
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार हवा की दिशा में बदलाव से घना कोहरा छाने की संभावना बढ़ गई है। हल्की बदली हुई तो धूप और कमजोर पड़ सकती है। आईएमडी ने शुक्रवार के लिए भी डार्क यलो अलर्ट जारी किया है। फिलहाल 7 जनवरी तक कोल्ड डे कंडीशन रहने की संभावना है।
पूरे मंडल में रहेगा कोल्ड डे
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) के मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि कोल्ड डे की स्थितियां बनी रहेंगी। कानपुर मंडल में घना कोहरा संभव है। रात और दिन गलन ऐसी ही बनी रहेगी। धूप भी निकलेगी।
दिन का पारा चढ़ा, रात का घटा
गुरुवार को अधिकतम तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस हो गया जो बुधवार के मुकाबले 02 डिग्री अधिक है। इसके बावजूद यह सामान्य से 2.6 डिग्री कम रहा। इसी तरह रात का पारा 8.4 से 4.4 डिग्री हो गया जो सामान्य से 2.1 डिग्री कम है। 08-10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं। विशेष बात यह रही कि रात भर हवा की दिशा उत्तर पूर्वी और उत्तर पश्चिमी के बीच बदलती रही।
दिल के मरीज ठंड में इन बातों का रखें ध्यान
सर्दियों के दौरान आमतौर पर हर किसी की फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है जो गलत है. खासकर दिल के मरीजों को सर्दियों में जरूर एक्टिव रहना चाहिए. अगर आप हर दिन 30 से 40 मिनट वॉक करेंगे तो इससे आपकी हार्ट हेल्थ बेहतर होगी और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाएगा.
सर्दियों में खासतौर पर बाहर जाने से पहले शराब का सेवन न करें. ऐसा करना भी हार्ट के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है.
वजन बढ़ना आपके हृदय के लिए नुकसानदायक हो सकता है. मोटापा हृदय संबंधी समस्याओं के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है. इसलिए सर्दियों में अपने वजन का ख्याल रखें.
हृदय रोगियों को सर्दियों में अपने खानपान का ध्यान रखना भी जरूरी है. अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.
कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर प्रोफेसर विनय कृष्णा का कहना है कि शीत लहर में हृदय रोगी ठंड से बचाव रखें. जरूरत पड़ने पर ही बाहर निकलें. कान, नाक और सिर को गर्म कपड़ों से ढककर ही निकलें. वहीं 60 की उम्र के ऊपर के लोगों को शीतलहर में बाहर नहीं जाना चाहिए.