कुम्भकार समाज का हमारे सामाजिक संस्कारों में महत्वपूर्ण योगदान: मुख्यमंत्री बघेल
रायपुर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गरियाबंद जिले के कुटेना में आयोजित कुम्भकार समाज के महाधिवेशन को सम्बोधित करते हुए ग्राम बसीन में ग्लेजिंग यूनिट लगाने तथा सिरकट्टी आश्रम के छात्रावास हेतु 20 लाख रुपये की स्वीकृति की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कुम्भकार समाज के लोगों को नये वर्ष और छेरछेरा-पुन्नी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कुम्भकार समाज का हमारे सामाजिक संस्कारों में महत्वपूर्ण योगदान है। कोई भी संस्कार, वैवाहिक कार्य एवं पारिवारिक कार्य इस समाज के योगदान के बिना पूरा नहीं होता है। मेहनतकश कुम्भकार समाज का हमारे समाजिक कार्यों में योगदान युगों से चलता आ रहा है। इसके बावजूद भी आज कुम्भकार समाज अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में कुंभकार समाज का व्यवसाय प्रभावित हुआ है। पहले लोग मिट्टी के बर्तनों का अधिक उपयोग करते थे। लेकिन आधुनिकता के दौर में स्टील, जर्मन और प्लास्टिक का उपयोग अधिक हो रहा है। उन्होंने कहा कि सुंदर वस्तुएँ की बिक्री हाथों हाथ हो जाता है। इस प्रतिस्पर्धा में कुम्भकार समाज को टिकना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के व्यवसाय को पुनर्स्थापित करने के लिए सरकार हर संभव मदद कर रही है। प्रदेश के अनेक स्थानों पर ग्लेजिंग यूनिट की स्थापना की गई है। लेकिन शिकायतें मिल रही है कि ग्लेजिंग यूनिट से कुंभकारों को काम नहीं मिल रहा है। ग्लेजिंग यूनिट को चलाने प्रोफेशनल रूप से निरंतर कार्य करते रहने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभकारों की सुविधा के लिए 9 हजार चॉक वितरित किए हैं। कई लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने ऐसे लोगों से उन्हें दिए गए इलेक्ट्रिक चॉक को वापस लेकर काम करने के इच्छुक व्यक्तियों को उपलब्ध कराने कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुंभकार समाज के लोग पारंपरिक व्यवसाय के अलावा खेती किसानी से भी जुड़े हैं। सरकार ने धान खरीदी हेतु बेहतर प्रबंध की है। इसके तहत उपार्जन केन्द्रों में धान की खरीदी, उठाव, परिवहन के कार्य बेहतर ढंग से संचालित हो रहे हैं। साथ ही राशि का भुगतान भी दो दिनों में हो रहा है। अब तक प्रदेश में 86 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने ऐसे किसान जो अब तक धान नही बेच पाये हैं, उनसे संबंधित उपार्जन केन्द्र में धान बेचने का आग्रह किया। उन्होंने कुंभकारों द्वारा मिट्टी से निर्मित विभिन्न बर्तन व अन्य उत्पाद को पकाने के लिए लकड़ी की जगह गो-कास्ट का उपयोग करने की अपील की।