प्रवासी भारतीयों के सुझाव पर निवेश नीति बनायेगी प्रदेश सरकार : राज्य मंत्री कुशवाह
प्रवासी भारतीय निवेश करें, सरकार हर प्रकार से सहायता करेगी
ऑस्ट्रेलिया, जापान और मॉरीशस के प्रवासी भारतीयों ने प्र-संस्करण इकाइयों की स्थापना में दिखाई रुचि
भोपाल
इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में आज युवा प्रवासी भारतीय सम्मेलन में समानांतर सत्र में मध्यप्रदेश के फूड बॉस्केट के बारे में चर्चा हुई। सत्र में खाद्य प्र-संस्करण के लिए उपलब्ध उपयुक्त वातावरण एवं संसाधनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने प्रवासी भारतीयों का आह्वान किया कि वे आगे आकर प्रदेश में उपलब्ध सरप्लस उद्यानिकी फसलों के प्रोसेसिंग प्लांट लगाएँ और प्रदेश को समृद्ध करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्रवासी भारतीयों के सुझाव पर निवेश नीति का निर्माण करेगी और निवेश में हर प्रकार सहायता करेगी। मंत्री कुशवाह ने आशा व्यक्त की कि प्रदेश के उद्यानिकी संसाधनों का उपयोग कर प्रवासी भारतीय प्रदेश की समृद्धि में सहयोगी बनेंगे।
इस सत्र में प्रदेश के उन्नत उद्यानिकी कृषक एवं व्यवसायियों द्वारा स्वयं की सफलता की कहानियों को प्रवासी भारतीयों से साझा किया। इनमें एम्बि वाइन रतलाम के जितेंद्र पाटीदार, श्रीधि मिल्क कंपनी के देवेंद्र खंडेलवाल, संतरे निर्यात करने वाले साजिद मंसूर अंसारी, चार्टर्ड अकाउंटेंट पी.के. जैन व फ्रोजन फूड्स के सुभाष काबरा शामिल रहे।
उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग के अपर मुख्य सचिव जे. एन. कंसोटिया ने प्रदेश की उद्यानिकी फसलों एवं उपलब्ध संसाधनों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश में गेहूँ उत्पादन में तीसरे, चावल में दूसरे एवं दुग्ध उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। मध्यप्रदेश में देश का सर्वाधिक लहसुन और प्याज उत्पादित होता है। यही नहीं ऑयल सीड उत्पादन में भी प्रदेश तीसरे स्थान पर है। मध्यप्रदेश में 8 फ़ूड पार्क हैं और 2 लाख 88 हजार किलोमीटर लम्बाई का सड़क नेटवर्क है। यहाँ 1 लाख 34 हजार हेक्टेयर में संतरे की खेती होती है और प्रतिवर्ष 23 लाख 52 हजार मीट्रिक टन संतरा उत्पादित होता है। कंसोटिया ने बताया कि प्रदेश में 45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है, जिसको बढ़ा कर 65 लाख हेक्टेयर किया जा रहा है। प्रदेश में आईटीसी, पारले, डाबर, बालाजी, टॉप एंड टाउन, एलटी फूड्स, पेप्सीको कंपनियों के प्लांट्स कार्य कर रहे हैं।
सत्र के अंत में प्रश्न-उत्तर में जापान, मारीशस, ऑस्ट्रेलिया से आए प्रवासी भारतीयों ने ग्रेप वाइन, गार्लिक एवं ओनियन की प्र-संस्करण इकाइयाँ स्थापित करने में रूचि दिखाई। कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास ए.के. वर्णवाल ने संचालन किया। प्रमुख सचिव पशुपालन गुलशन बामरा मौजूद थे।