November 28, 2024

जोशीमठ को दोबारा बसाना खतरनाक, कभी भी हो सकती है बड़ी त्रासदी; IIT कानपुर के प्रोफेसर का दावा

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 नई दिल्ली 

आईआईटी कानपुर के भू वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा ने जोशीमठ को दोबारा बसाने की कोशिश को खतरनाक बताया है। वह हाल में ही जोशीमठ का ड्रोन सर्वे करके लौटे हैं और जल्द सरकार को रिपोर्ट देंगे। जोशीमठ क्षेत्र लैंड स्लाइडिंग जोन में है। यहां दशकों से स्लाइडिंग होने से पत्थर कमजोर हो गए हैं। अधिकतर घर व होटल इसके मलबे पर खड़े हैं। पहाड़ अपलिफ्ट हो रहे हैं, जिससे मलबा खिसक रहा है। जमीन धंस रही है। यह कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि बिना भूकंप, बाढ़ या बारिश के ही जमीन धंस रही है। इस वक्त अगर बारिश होती या भूकंप आता तो त्रासदी बहुत भयावह हो सकती थी। प्रो. राजीव सिन्हा ने कहा कि ड्रोन सर्वे में जोशीमठ और आसपास इलाके के काफी डेटा मिला है। इसका विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यह रिपोर्ट 15 दिन में भारत सरकार को सौंपी जाएगी। उन्होंने कहा कि जोशीमठ और आसपास के इलाकों को तुरंत खाली कराना चाहिए। यहां स्टडी कर बफर जोन बनाना जरूरी है। जहां किसी भी तरह के निर्माण पर प्रतिबंध लगे।

दरारों की गहराई नापेंगे वाडिया के वैज्ञानिक
वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने जोशीमठ में आई दरारों का आंकलन शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक जोशीमठ की जियोफिजिकल स्टडी कर दरार की गहराई का आकंलन कर रहे हैं। ऐसा इसलिए ताकि, पता चल सके कि दरारें सतही हैं या फिर जमीन के अंदर तक चली गई हैं। जमीन के धंसने की प्रक्रिया और रफ्तार पर नजर रखने के लिए भी उपकरणों से मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है। इस प्रक्रिया से संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित करने में मदद मिलेगी।

तकनीकी और वित्तीय सहयोग देगा केंद्र
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अफसरों ने राज्य सरकार को जोशीमठ शहर बचाने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहयोग देने का पूरा भरोसा दिया। मंगलवार सुबह यह टीम प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी। उधर, एनटीपीसी ने कहा है कि उसकी तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना की सुरंग का जोशीमठ में भूस्खलन से लेना-देना नहीं है। कंपनी के मुताबिक, निर्माण कार्य में सुरंग बोरिंग मशीन का प्रयोग किया गया है और धौलीगंगा नदी पर बनाई जा रही परियोजना पर कंपनी कोई विस्फोट कार्य नहीं कर रही। 

उत्तरकाशी से आगे डीजल वाहन चलाना खतरनाक
गंगोत्री व बद्रीनाथ धाम तक वाहनों के दबाव से ग्लेशियरों को खतरा पैदा हो रहा है। इसलिए विशेषज्ञों ने जोशीमठ व उत्तरकाशी से आगे पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की आवाजाही सीमित करने की सिफारिश की है। ऑल वेदर रोड परियोजना से पर्यावरण को हो रहे नुकसान की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर एक हाई पॉवर कमेटी गठित की गई थी। पिछले वर्ष कमेटी की ओर से परियोजना को लेकर जो सिफारिशें दी गई उनमें जोशीमठ व उत्तरकाशी से आगे ईधन से चलने वाले वाहनों की संख्या को सीमित करने की है।
 

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