November 24, 2024

दुष्कर्मी ने गढ़ी अपनी मौत की झूठी कहानी, चिता की फोटो और डेथ सर्टिफिकेट भी काम न आया, 14 साल की सजा

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 भागलपुर
बिहार के भागलपुर में नाबालिग से दुष्कर्म की सजा से बचने के लिए अपनी मौत की झूठी कहानी गढ़ ली। उसने चिता पर लेटे फोटो और मृत्यु प्रमाण पत्र भी वायरल करवा दिया। लेकिन कानून ने उसकी झूठ और साजिश का पर्दाफाश कर दिया।  खुद को मृत घोषित कराने वाला अभियुक्त शिक्षक नीरज मोदी  अब अपने जीवन का 14 साल जेल में बिताएगा। 

एक लाख का अर्थदंड भी

पॉक्सो के विशेष जज लवकुश कुमार की अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई। कोर्ट ने उसपर एक लाख रुपये अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर अभियुक्त को कोर्ट में छह महीने अतिरिक्त सजा काटनी होगी। इस कांड में सरकार की तरफ से बहस करने वाले पॉक्सो के विशेष पीपी नरेश राम और जयकरण गुप्ता ने बताया कि कोर्ट ने पीड़िता के लिए तीन लाख रुपये मुआवजा भी मंजूर किया है जो डालसा द्वारा देय होगा। अभियुक्त को कोर्ट ने छह जनवरी को दोषी पाया था।

स्कूल में धमकाता था, गन्ने के खेत में किया दुष्कर्म

पीड़िता की मां ने केस दर्ज कराया था। उन्होंने पुलिस को दी गई लिखित शिकायत में बताया था कि उनकी 12 वर्षीय बेटी सातवीं कक्षा की छात्रा थी। वह जिस स्कूल में पढ़ती थी उसी स्कूल में आरोपी नीरज शिक्षक था। वह अपने उनकी बेटी को मारता पीटता था और धमकी देता था कि वह जो बोलेगा उसे करना पड़ेगा। महिला ने पुलिस को बताया था कि 14 अक्टूबर 2018 को दिन में उनकी बेटी शौच के लिए बाहर निकली थी। तभी नीरज मोदी आ गया और उनकी बेटी का मुंह दबाकर गन्ने के खेत में लेकर चला गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। धमकी दी कि उसने वीडियो बना लिया है, अगर किसी को कुछ बोलेगी तो उसका वीडियो वह वायरल कर देगा और उसके मां और पिता को गोली मार देगा। पीड़िता डर की वजह से कुछ दिनों तक किसी को कुछ नहीं बोली, बाद में पूछने पर उसने अपनी मां को रो-रोकर पूरी बात बताई।

चिता पर लेटे फोटो व मृत्यु प्रमाण पत्र भी सौंप दिया था

छात्रा से दुष्कर्म मामले में बचने के लिए शिक्षक नीरज मोदी ने अपनी मौत की न सिर्फ झूठी कहानी गढ़ी थी, बल्कि कहानी को सच साबित करने के लिए अपने पिता को भी साजिश में शामिल कर लिया था। इसको लेकर उसके पिता पर भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है। पिता ने बेटे का चिता पर लेटे हुए फोटो भी कोर्ट को उपलब्ध कराया था। फर्जी दाह संस्कार के लिए खरीदी लकड़ी के आधार पर उसने मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवा लिया। पिता ने बेटे को मुखाग्नि देते हुए भी फोटो कोर्ट को सौंपा था। बाद में शिक्षक ने खुद कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
 

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