राहुल गांधी पर शत्रुघ्न सिन्हा के बयान से TMC ने किया किनारा, पार्टी बोली- ये उनके निजी विचार
नई दिल्ली
तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में जारी 'भारत जोड़ो' यात्रा की प्रशंसा करने वाले अपने पार्टी नेताओं को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि कांग्रेस को पहले खुद को एकजुट करना चाहिए। टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि पार्टी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और विधायक चिरंजित चक्रवर्ती का 'भारत जोड़ो यात्रा' की सराहना करना उनका निजी विचार है। सिन्हा ने कहा था कि गांधी विपक्षी खेमे में प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे अग्रणी बनकर उभरे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उनकी यात्रा हाल के दिनों की सबसे ऐतिहासिक यात्रा है और इसकी तुलना नब्बे के दशक में हुई लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा से की जा सकती है। हालांकि, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस में उनकी वापसी के सवाल को टाल दिया और कहा कि इसका उत्तर खामोश है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी इस यात्रा से अग्रणी और सम्मानित नेता के रूप में उभरे हैं। वह अब प्रधानमंत्री पद के लिए काफी काबिल नजर आ रहे हैं।
'विपक्षी खेमे का नेता वह होगा जिसके पास…'
विपक्षी खेमे में नेतृत्व को लेकर खींचतान के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि जिसे सबसे अधिक सीट मिलेंगी, वह नेता के तौर पर उभरेगा। जनता तय करेगी कि प्रधानमंत्री कौन बनेगा। जिसके पास सबसे अधिक सीट और जन समर्थन होगा, वह विपक्षी खेमे का नेता होगा। वहीं, तीन बार के टीएमसी विधायक चिरंजित चक्रवर्ती ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा एक अच्छी पहल है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि हर किसी को इसका समर्थन करना चाहिए।
'सिन्हा ने जो भी कहा वह उनके निजी विचार'
तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने दोनों नेताओं की टिप्पणियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। टीएमसी के सांसद शांतनु सेन ने कहा, 'कांग्रेस को पहले अपना घर ठीक करने की जरूरत है। कांग्रेस को पहले खुद को एकजुट करना चाहिए, फिर भारत जोड़ने के लिए के लिए आगे बढ़ना चाहिए। शत्रुघ्न सिन्हा या चिरंजीत चक्रवर्ती ने जो कुछ भी कहा, वह उनके निजी विचार हैं, न कि पार्टी की राय।'
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले छोड़ी भाजपा
गौरतलब है कि सिन्हा 1980 के दशक में भाजपा में शामिल हुए थे और अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी के दौर में भगवा पार्टी के स्टार प्रचारक थे। पटना साहिब से 2 बार सांसद रहे सिन्हा ने पार्टी नेतृत्व से मतभेद होने पर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वह वर्ष 2022 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे और आसनसोल लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में टीएमसी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे।