November 27, 2024

जोशीमठ से 7 हजार किमी दूर धंस रहा एक और शहर, 1 करोड़ लोगों के भविष्य पर संकट

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 जकार्ता 

उत्तराखंड में जोशीमठ धंस रहा है। लोगों के आशियाने और रोजी रोटी दरारों के साथ जमीनों में समाती जा रही हैं। यहां से करीब 7 हजार किलोमीटर दूर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भी हालात यही हैं। स्थिति इस कदर बिगड़ रही है कि सरकार ने राजधानी को ही बदलने का फैसला कर लिया है। जकार्ता दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में शामिल है। कहा जा रहा है कि जकार्ता शहर का एक चौथाई हिस्सा 2050 तक पानी के अंदर होगा। भयंकर बारिश और बाढ़, बढ़ता समुद्र का जल स्तर और जमीन के धंसने ने दक्षिण पूर्व एशिया के इस बड़े शहर में रहने वाले 1 करोड़ से ज्यादा लोगों के लिए हालात मुश्किल बना दिए हैं। यही कारण है कि इंडोनेशिया सरकार राजधानी बदल रही है।

क्यों डूब रहा है जकार्ता?
भूवैज्ञानिकों का मानना है कि भूजल को जरूरत से ज्यादा निकाला जाना भी जमीन धंसने की एक बड़ी वजह होता है। जानकार जकार्ता के पीछे भी यही वजह मानते हैं। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, दुनियाभर में 80 प्रतिशत से ज्यादा जमीन भूजल के जरूरत के ज्यादा निकाले जाने के कारण धंस रही है। इसके अलावा सदियों से बाढ़ भी जकार्ता की सबसे बड़ी परेशानी रही है। जानकार बताते हैं कि जकार्ता का 40 फीसदी हिस्सा पहले ही समुद्र स्तर के नीचे है और शहर का उत्तरी हिस्सा हर साल करीब 2 इंच की दर से डूब रहा है। शहर के डूबने की बड़ी वजह ग्राउंड वॉटर को जरूरत से ज्यादा खींचना बताया जा रहा है। कहा जाता है कि जब अत्याधिक पानी जमीन के नीचे से निकाला जाता है, तो सतह धंसने लगती है।

क्या है नई राजधानी
इंडोनेशिया में बिल पास हो गया है, जिसमें राजधानी को बदलकर ईस्ट कालिमंतान करने की बात कही गई थी। यह बोर्नियों द्वीप पर स्थित है। आधिकारिक तौर पर इसे नुसांतरा नाम से जाना जाएगा। राष्ट्रपति जोको विडोडो ने साल 2019 में पहली बार राजधानी को जकार्ता से बाहर ले जाने की घोषणा की थी।

डूब रहे हैं ये शहर
सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिल यूनिवर्सिटी की तरफ से की गई एक स्टडी के अनुसार, अन्य शहरों की तुलना में तटीय शहर ज्यादा तेजी से डूब रहे हैं। इनमें वियतनाम के हो ची मिन सिटी, म्यांमार के यांगोन, बांग्लादेश के चटगांव, चीन के तियानजिन और भारत के अहमदाबाद का नाम भी शामिल है। ये ऐसे शहर हैं, जो अपनी आबादी और शहरीकरण का भार झेल रहे हैं।
 

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