जनगणना में देरी: अब 2024 के बाद ही होगी! सरकार का क्या है प्लान
नईदिल्ली
देश में हर 10 साल पर होती आ रही जनगणना को एक बार फिर से टाल दिया गया है। 2011 में हुई जनणना के बाद 2021 में यह प्रक्रिया होनी थी, लेकिन कोरोना के चलते इसे टाल दिया गया था। इसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि इसकी प्रक्रिया 2022 में शुरू हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब संकेत मिल रहे हैं कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद ही शुरू हो पाएगी। केंद्र सरकार ने 2019 में जनगणना के लिए 8,754 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। इसे दो चरणों में किया जाना था, पहला राउंड अप्रैल से सितंबर 2020 तक और दूसरा फरवरी 2021 में होना था। लेकिन कोरोना ने सारी प्लानिंग पर ही पानी फेर दिया।
अब सरकार के सूत्रों का कहना है कि देश की पहली डिजिटल जनगणना आम चुनाव के बाद ही शुरू हो पाएगी। भारत में पहली बार जनगणना ब्रिटिश काल में 1872 में हुई थी। उसके बाद से लगातार 150 सालों तक यह हर 10 साल पर होती रही है। 1941 में दूसरे वर्ल्ड वॉर, 1961 में चीन से युद्ध और 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान जरूर कुछ बाधाएं आई थीं, लेकिन जनगणना कभी रुकी नहीं। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या जातीय जनगणना के साथ ही केंद्र सरकार सेंसस कराने पर विचार कर रही है।
जनगणना में क्या होता है, कौन सी चीजें होती हैं शामिल
जनगणना के तहत देश की कुल आबादी की गणना होती है। इसके अलावा शिक्षा के स्तर, हाउसिंग, लोगों की आर्थिक स्थिति, मृत्यु एवं जन्म दर, भाषा, धर्म, दिव्यांगता और अन्य सामाजिक आर्थिक पहलुओं का डेटा तैयार किया जाता है। देश का यह सबसे बड़ा डेटाबेस होता है। एक लंबी कागजी प्रक्रिया इसकी होती है और सालों तक इसके डेटा सामने आते रहते हैं। हालांकि इस बार सरकार डिजिटल जनगणना कराने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि इससे डेटा मेंटेन रखना आसान होगा। खासतौर पर वार्ड, गांव, कस्बे और शहर तक में इसके जरिए डेटा मेंटेन होता है। इससे योजनाएं बनाना आसान होता है और उनके क्रियान्वयन में भी मदद मिलती है।
कैसे अलग होगी इस बार जनगणना, क्या होगी तैयारी
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस साल जनगणना करने वाले कर्मचारी स्मार्टफोन्स और टैबलेट आदि लेकर डोर-टू-डोर जाएंगे और डिजिटल ही डेटा एंट्री करेंगे। पहले जनगणना से पहले की तैयारी 12 महीने तक चला करती थी। इसके लिए ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल एंड सेंसस कमिश्नर की ओर से पूरी तैयारी की जाती है। फिर जनगणना की प्रक्रिया शुरू होती है। इसके तहत हाउस लिस्टिंग पहले होती है और फिर बाद में जनगणना शुरू की जाती है। पूरी जनगणना के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि डेटा की डबलिंग न हो सके।