दफ्तर कुर्क होने का भी खतरा, समझें क्यों AAP पर आई 164 करोड़ वाली मुसीबत
नई दिल्ली
दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (आप) के सामने एक नई मुश्किल आ गई है। सरकारी खर्च पर राजनीतिक विज्ञापन करने के आरोप के बाद 'आप' को 10 दिन के भीतर 163.62 करोड़ रुपए जमा कराने को कहा गया है। सूत्रों के मुताबिक, सूचना और प्रचार निदेशालय (डीआईपी) की ओर से पार्टी को नोटिस भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि यदि 10 दिन में राशि का भुगतान नहीं किया गया तो पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पार्टी दफ्तर समेत अन्य संपत्तियों को कुर्क किया जा सकता है।
एचटी ने इस नोटिस को देखा है जिसे बुधवार को जारी किया गया है। आरोप है कि दिल्ली सरकार के खर्च पर दूसरे राज्यों में राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित किए गए। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने 20 दिसंबर को चीफ सेक्रेट्री नरेश कुमार को 'आप' से 97 करोड़ रुपए वसूली का आदेश दिया था, जोकि गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हुए खर्च किए गए।
एक अधिकारी ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि 163.62 करोड़ रुपए में से 99.31 करोड़ रुपए मार्च 2017 तक का मूलधन है और इस पर 64.31 करोड़ रुपए ब्याज लगाया गया है। एलजी के आदेश में केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त तीन सदस्यीय कमिटी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसने सितंबर 2016 में कहा था कि दिल्ली सरकार ने विज्ञापन पर टैक्सपेयर्स के धन का 'दुरुपयोग' किया। पैनल ने कहा कि 'आप' से इसकी वसूली की जाए। 'आप' की ओर से रकम नहीं जमा कराने पर सक्सेना ने लीगल ऐक्शन लेने को कहा है जिसमें संपत्तियों की कुर्की भी शामिल है। उन्होंने 2019 के बाद दिए गए विज्ञापनों की जांच की भी बात कही है। इस नोटिस के बाद आम आदमी पार्टी सरकार और एलजी वीके सक्सेना के बीच टकराव बढ़ सकता है। इससे पहले भी कई मुद्दों पर राजभवन और आप सरकार के बीच तनाव रहा है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, 'दिल्ली में अफसरों पर असंवैधानिक नियंत्रण का नाजायज इस्तेमाल देखिए। बीजेपी ने दिल्ली सरकार की सूचना विभाग सचिव ऐलिस वाज (IAS) से नोटिस दिलवाया है कि 2017 से दिल्ली से बाहर राज्यों में दिये गए विज्ञापनों का खर्चा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवास से वसूला जाएगा।' एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'दिल्ली के अखबारों में बीजेपी के तमाम राज्यों के CMs के विज्ञापन छपते हैं, पूरी दिल्ली में इनके CMs के फोटो वाले सरकारी होर्डिंग लगे हैं। क्या इनका खर्चा बीजेपी मुख्यमंत्रियों से वसूला जाएगा? क्या इसीलिए दिल्ली के अफसरों पर असंवैधानिक कब्जा करके रखना चाहती है बीजेपी?'