November 16, 2024

बिहार की राजनीति तय करने वाले शरद यादव का MP में हुआ था जन्म, पैतृक गांव में ही होगा अंतिम

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बिहार 
 जनता दल यू के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का 75 साल की उम्र में गुरुवार देर रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें दिल्ली में उनके छतरपुर स्थित आवास पर बेहोश होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और एक बेटा हैं। शरद यादव के दामाद राजकमल राव ने बताया कि उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

कांग्रेस के खिलाफ खोला था मोर्चा
शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था और वह जबलपुर से पहली बार सांसद बने थे। शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए और दशकों तक राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। वह अस्वस्थता के कारण अंतिम कुछ वर्षों में राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं थे। यादव 1989 में वीपी सिंह की सरकार में मंत्री थे। उन्होंने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री के रूप में कार्य किया। 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव को एक समय उनका समर्थन प्राप्त था।

समाजवादी नेता के रूप में बनाई अलग पहचान
शरद यादव उन प्रमुख समाजवादी नेताओं में से थे जिन्होंने देश की राजनीति में अपनी अलग छाप छोड़ी। बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) नेता नीतीश कुमार द्वारा 2013 में भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ने का फैसला करने के पहले वह भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक थे। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी गठित की लेकिन स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से राजनीति में उतने सक्रिय नहीं थे। उन्होंने 2022 में अपनी पार्टी का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया था। उल्लेखनीय है कि शरद यादव ने बिहार के मधेपुरा से राजद के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह चार बार इस सीट से चुनाव जीत चुके थे। एक साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में उनकी बेटी सुभाषिनी यादव बिहारगंज से राजद की उम्मीदवार थीं।

शरद यादव काफी समय तक जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता रहे। कहा जाता है कि यादव 2013 में भाजपा के साथ संबंध तोड़ने के जदयू फैसले के प्रति आशंकित थे। चार साल बाद 2017 में भाजपा के साथ फिर से जुड़ने के नीतीश कुमार के फैसले के कारण यादव ने विद्रोह कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें राज्यसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।  
 

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