एक ओर मुस्लिम देश में हालात खराब, रोटी को तरस रहे लोग, आर्थिक हालत बिगड़ी
काहिरा
पाकिस्तान के बाद अब मिस्र की आर्थिक हालत बिगड़ती जा रही है. मिस्र में खाने का सामान इतना महंगाा हो गया है कि गरीबों को पेट भरने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. चौंकाने वाली बात यह है कि जहां लोग अपना पेट नहीं भर पा रहे हैं, ऐसी हालत में सरकार की एक एजेंसी ने लोगों से कहा है कि महंगाई के दौर में प्रोटीन की जरूरत पूरा करने के लिए मुर्गे के पंजे खाएं. जो उन्हें अन्य चीजों के मुकाबले में सस्ते भी पड़ेंगे और शरीर की जरूरत को भी पूरा कर देंगे.
हालांकि, सरकारी एजेंसी की इस सलाह से लोग भड़क गए. सोशल मीडिया पर काफी संख्या में लोगों ने जमकर गुस्सा जताया. मिस्र के एक सांसद करीम अल-सादत ने भी इस बात पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. करीम अल-सादत ने एजेंसी की इस सलाह को मौजूदा संकट की सच्चाई से पूरी तरह से अलग बताया.
मिस्र, जो अधिकतर खाद्य आयात पर निर्भर है, उसमें फूड आइटम्स की महंगाई ने करीब 10 करोड़ लोगों को आर्थिक संकट में लाकर खड़ा कर दिया है. आलम ये हो गया है कि बड़ी सुपरमार्केट्स में ग्राहकों को सिर्फ तीन कट्टा चावल, दो बोतल दूध और एक बोतल तेल खरीदने दिया जा रहा है.
मिस्र में इस संकट को कैसे बयां कर रहे लोग?
मिस्र की राजधानी काहिरा में बेकरी पर सामान लेने पहुंची 34 वर्षीय महिला रिहैब ने बताया कि, जो ब्रेड वे मिस्र के एक पाउंड में खरीदती थी, अब उसकी कीमत 3 पाउंड (मिस्र) हो गई है. रिहैब ने बताया कि उनके पति एक महीने में 6 हजार पाउंड (मिस्र) कमाते हैं. जैसी अब महंगाई है, यही सैलरी जो पूरे महीने चलती थी, अब 10 दिनों में ही खत्म हो जा रही है.
13 लोगों के परिवार का पेट पालने वाली 55 वर्षीय रेडा ने कहा कि पकाने के लिए जो गोश्त कभी सस्ता हुआ करता था, अब उसकी कीमत इतनी है कि उसे ऑप्शन तक में नहीं रखा जा रहा है. रेडा के अनुसार, गोश्त की कीमत पिछले कुछ दिनों में दोगुनी हो गई है. रेडा ने बताया कि वह दो-दो जगह काम करके पैसा कमा रही हैं, उसके बावजूद काफी आम चीजें अब भी उनकी पहुंच से बाहर हैं.
रूस और यूक्रेन युद्ध से मिस्र में मचा हाहाकार!
न्यूज वेबसाइट बिजनेस रिकॉर्डर के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग से मिस्र की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है. युद्ध की वजह से कई ऐसे वैश्विक निवेशक थे, जो पहले मिस्र में बड़ा निवेश करने जा रहे थे, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए पीछे हट गए.
युद्ध की वजह से सबसे ज्यादा झटका गेहूं को लगा, क्योंकि मिस्र गेहूं को काफी मात्रा में आयात करता है. युद्ध की वजह से गेहूं की वैश्विक कीमतों में इजाफा हुआ, जिसका सीधा असर मिस्र के आम आदमी पर भी पड़ा है.