संचालनालय और मंत्रालय में 56 प्रोफेसर अटैच और स्टूडेंट्स के सिलेबस अधूरे
भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग ने करीब 56 प्रोफेसरों को कालेजों में भेजने की जगह संचालनालय और शासन में अटैच कर रखा है। यहां तक एक प्रोफेसर के दो स्थानों पर पदस्थ किया हुआ है। उन्हें मंत्रालय में ओएसडी और उज्जैन के माधव कालेज में पदस्थ किया हुआ है। चर्चा यह है कि विभाग की लापरवाही के चलते उन्हें दो स्थानों पर पदस्थ किया गया है। जबकि नियमानुसार कालेज में पदस्थ होना चाहिए था। एसीएस शैलेंद्र सिंह 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो गए हैं। उन्होंने जाते-जाते 56 प्रोफेसरों को संचालनालय और मंत्रालय में दो माह के लिऐ अटैच कर दिया है। इससे संचालनालय और मंत्रालय में प्रोफेसरों की भीड दिखने लगी है। क्योंकि यहां पदों से ज्यादा ओएसडी नियुक्त कर दिए गए हैं। प्रवेश प्रक्रिया पर विराम लगने के बाद उक्त प्रोफेसरों के पास कोई कार्य नहीं बचा है। जबकि परीक्षाएं सिर पर होने के कारण उन्हें कालेजों में विद्यार्थियों का सिलेबस पूरा कराना चाहिए था।
सेवाएं देने मेें उठा रहे परेशानी
विभाग ने 2005-07 तक करीब 250 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बैकलाग के पदों पर नियुक्तियां की थी। उनकी नियुक्तियों को सात साल का समय बीत गया है, लेकिन विभाग अभी तक उनकी परीविक्षा अवधि समाप्त नहीं कर सका है। इसके चलते वे उन्हें अपनी सेवाएं देने में विभागीय परेशानी उठाना पड रही है।
एक प्रोफेसर दो जगह पदस्थ
एसीएस सिंह ने आनन-फानन में यह भी नहीं देखा कि एक प्रोफेसर को दो-दो स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है। ऐसा ही एक प्रकरण सामने आया है। इसमें मंत्रालय में पदस्थ प्रोफेसर गंगाराम गांगले को ओएसडी बना दिया है। जबकि प्रो. गांगले को तबादला पालिसी के तहत दमोह कालेज से उज्जैन के माधव कालेज में स्थानांतरित किया था। जानकारी के मुताबिक उन्होंने तत्कालीन एसीएस सिंह से तथ्यों को छिपाते हुए मंत्रालय में पदस्थापना करा ली है। इसका आदेश अभी तक फाइलों से बाहर नहीं आया है। जबकि उन्हें पहले जारी हुए उज्जैन कालेज में पदस्थ होना चाहिए था। जब तक मुख्यमंत्री की समन्वय समिति से उनका उज्जैन का स्थानांतरण आदेश निरस्त नहीं होता है। वे मंत्रालय में ओएसडी के तौर पर कार्य नहीं कर सकते हैं।