ब्रह्म हत्या के पाप से इंद्र भी नहीं बच पाए, श्री हरि ने दिलाई मुक्ति
हिंदू धर्म में इंद्र को देवताओं व स्वर्ग का राजा माना गया है. राक्षसों के साथ युद्ध में हमेशा ये ही देवताओं की अगुआई करते हैं, पर एक समय ऐसा भी आया जब देव होकर भी इन्होंने एक ब्राह्मण की हत्या कर दी थी. ब्रह्म हत्या का पाप लगने पर इन्हें छिपकर रहना पड़ा था. बाद में भगवान विष्णु ने उन्हें इस पाप से मुक्त करवाया था. आइए ये पूरी कथा जानते हैं.
जब इंद्र पर लगा ब्रह्म हत्या का पाप
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार एक समय देवराज इंद्र को त्रिलोक का स्वामी होने का घमंड हो गया था. इससे उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई. अहंकार में उन्होंने एक बार गुरु बृहस्पति का भी अपमान कर दिया. इससे नाराज होकर गुरु बृहस्पति अन्य जगह जाकर रहने लगे. गुरु के रूठने का फायदा उठाते हुए राक्षसों ने देवताओं पर हमला कर दिया. वे डरकर भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे, जिन्होंने गुरु बृहस्पति की जगह त्वष्टा के पुत्र विश्वरूप को कार्यवाहक पुरोहित बनाकर काम चलाने की सलाह दी.
विश्वरूप बने कार्यवाहक पुरोहित
इस पर देवताओं ने वैसा ही किया. उन्होंने विश्वरूप को कार्यवाहक पुरोहित बना दिया. विश्वरूप ने देवराज इंद्र को नारायण कवच प्रदान किया, जिसके प्रभाव से युद्ध में उनकी जीत हुई. अपनी विजय के उपलक्ष्य में विश्वरूप को ही पुरोहित बनाकर इंद्र ने एक यज्ञ का आयोजन किया.
विश्वरूप ने किया देवताओं से छल
इस यज्ञ में विश्वरूप ने देवताओं से छल किया. यज्ञ करते समय वह धीरे से राक्षसों को भी आहुति देने लगा. जब इंद्र को इस बात का पता चला तो वे क्रोधित हो गए. उन्होंने विश्वरूप के तीनों सिर धड़ से अलग कर दिए. इससे इंद्र को ब्रह्म हत्या का पाप लगा.