यूजर ग्रुप के नये प्रयोग से तालाब, सरोवर, जलस्रोतों का संरक्षण
भोपाल
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अमृत सरोवर योजना और पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान बहुत ही कारगर साबित हो रहा है। इन दोनों योजनाओं से प्रदेश में सिंचाई का रकबा जहां पांच लाख एकड़ तक बढ़ जाएगा वहीं इस योजना में शामिल यूजर्स ग्रुप के जरिए लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। यूजर्स ग्रुप सीधे रोजगार से जुड़ रहे है। एक तरफ जहां इन दोनो योजनाओं से ग्रामीणों की खेती सिंचित हो रही है वहीं वे तालाबों में मछलीपालन और सिंघाढ़ा उत्पादन से उनकी कमाई बढ़ गई है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान शुरु किया है। इसमें नए तालाबों की जगह पुराने तालाबों के संरक्षण, जीणोद्धार पर जोर दिया जा रहा है। इसके चलते कम खर्च में अधिक जलसंग्रहण करना संभव हुआ है। पहले जहां तालाब बनाए गए थे उन्हीं बेहतर साइटों का इस योजना के तहत चिन्हित कर उन्हें रिनोवेट कर बड़े, सुरक्षित तालाब बनाए जा रहे है। करीब आठ महीने पहले शुरु हुई इस योजना में 21 हजार पुराने तालाबों जीणोद्धार करके उन्हें उपयोगी बनाया गया है। इस योजना में पहले चरण में प्रदेशभर में 42 हजार तालाबों का पुनर्निमाण किया जाएगा
अमृत सरोवर योजना: देश में शीर्ष पर मध्यप्रदेश
भारत सरकार की इस योजना के तहत प्रदेश में करीब 55 सौ अमृत सरोवर बनाए जाने है। इस योजना की खास बात यह है कि ये योजना आजादी के 75 साल पूरे होंने के उपलक्ष्य में शुरु की गई है। हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाए जाने है। इस योजना के इम्पलीमेंट में मध्यप्रदेश देश में सर्वोच्च स्थान पर है। योजना के शुरु होते ही मध्यप्रदेश ने काफी कम समय में दो हजार अमृत सरोवर तैयार कर दिए है जबकि कुछ राज्यों में तो योजना शुरु भी नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि इस योजना का ट्रायबल और उन जिलों में ज्यादा प्रभाव देखा जा रहा है जहां वाटर लेवल कम है। अमृत सरोवर चालीस फिट गहरेऔर छह सौ मीटर चौड़े क्षेत्र में बनाया जाता है जिसमें दस हजार क्यूबिक मीटर पानी का संग्रहण होता है।
मिल रहा है जनसहयोग और समर्थन
प्रदेश में पुष्कर धरोहर समृद्धि योजना में ग्रामीण अंचलों में रहने वाले आमजन और जनप्रतिनिधियों का भी काफी समर्थन मिल रहा है। इस योजना की खासियत यह है कि इसमें बहुत कम खर्च में बेहतर काम हो रहा है। योजना में ग्रामीण अंचलों के पुराने तालाबों को चिन्हित किया जाता है और इन तालाबों का चयन करने के लिए गांव के ही रहवासियों का यूजर्स गु्रप बनाया गया है। यूजर्स गु्रप स्वयं यह तय करता है कि क्षेत्र के किस तालाब और जलस्रोत का जीर्णोद्धार किया जाए। यूजर्स ग्रुप ऐसे स्थानों का चयन करता है जिससे ग्रामीण अंचल के अधिक से अधिक क्षेत्र के रहवासियों को इसका फायदा मिल सके। आसपास के खेतों में सिंचाई सुविधा के साथ ही उस तालाब के निर्माण से उस स्थान से नीचे बने जलस्रोत भी रिचार्ज हो सके। यूजर्स ग्रुप के सदस्य इन तालाबों में मछली पालन, सिंघाड़ा उत्पादन, कमल गट्टे का उत्पादन कर अपनी आमदनी बढ़ाने में सक्षम हो रहे है। चूंकि यूजर्स गु्रप ही इन तालाबों का चयन करते है इसलिए उसके संरक्षण और रखरखाव का ध्यान भी वे स्वयं रखते है। इन तालाबों के जरिए ग्रामीण अंचलों में जलपर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ी है। इस योजना में स्वसहायता समूहों को भी इससे जोड़ा जा रहा है। इस योजना में ग्रामीणजन अपनी निजी जमीन भी दे रहे है और निर्माण के लिए उपकरण, ट्रेक्टर, डीजल, मजदूरी के रुप में भी अपना योगदान दे रहे है। क्षेत्रीय सांसद, विधायक और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी योजना में आर्थिक मदद दे रहे है।
ग्रामीण अंचलों में अतिक्रमण हटाने में भी मददगार
पुष्कर धरोहर समृद्धि योजना से ग्रामीण अंचलों में अतिक्रमण हटाने में भी मदद मिली है। जिन जमीनों पर लोग अतिक्रमण कर खेती कर रहे थे वहां इस योजना को शुरू किए जाने पर अतिक्रमणकारी स्वयं अपने अतिक्रमण हटाकर योजना शुरू करने में मदद कर रहे है।
इन जिलों में बेहतर काम
पुष्कर धरोहर समृद्धि योजना में शिवपुरी, डिंडौरी, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी, बैतूल, ग्वालियर, मुरैना, शहडोल जिलों में बेहतर काम हुआ है।