राजस्थान में चरम पर कांग्रेस की कलह, पायलट का गहलोत पर निशाना, बोले- इज्जत दोगे तब न इज्जत मिलेगी
नई दिल्ली
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच जुबानी जंग जारी है। बीते कुछ दिनों से दोनों ही नेता एक दूसरे पर परोक्ष रूप से हमला बोल रहे हैं। सचिन पायलट ने एक और हमले में शुक्रवार को छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि किसी परवरिश ऐसी होनी चाहिए कि वह दूसरों को सम्मान दे सके। आप सब जब लोगों को इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी। पायलट जयपुर के महाराजा कॉलेज के छात्रों के बीच थे। उन्होंने उनसे पूछा- मेरे बारे में क्या बोला। जवाब आया- कोरोना। पायलट ने फिर पूछा- जो पहले बोला वह बताओ तो जवाब आया- नाकारा-निकम्मा। मौजूदा वक्त में पायलट हमलावर मूड में नजर आ रहे हैं। पायलट के हमलों ने सूबे में कांग्रेस के भीतर के सीजफायर को तोड़ दिया है।
इज्जत दोगे तभी इज्जत पाओगे
पायलट ने गहलोत का नाम लिए बिना युवाओं से बातचीत में सुझाव दिया कि हर व्यक्ति को अपनी जुबान को काबू में रखना चाहिए और दूसरों के लिए ऐसे शब्द या ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए जो खुद के लिए बर्दाश्त न हो। पायलट छात्रों से कहा- मैं आपके बीच आया हूं। आपसे बड़ा हूं, मेरा कर्तव्य है कि मैं सही बात बोलूं और आपमें अच्छे संस्कार जगाऊं, आपकी परवरिश ऐसी होनी चाहिए कि आप दूसरों को सम्मान दें। इज्जत दोगे तभी इज्जत पाओगे।
जुबान को संतुलित करना बहुत महत्वपूर्ण
पायलट ने कहा- 32 सलाखों के पीछे बिना हड्डी वाली जुबान को संतुलित करना बहुत महत्वपूर्ण है… क्योंकि मुंह से निकला शब्द कभी वापस नहीं आता है। चुनाव के दौरान हम अपने विरोधी का विरोध करते हैं लेकिन विरोध नीति और सिद्धांतों पर होना चाहिए। पिछले पांच दिनों से मैंने केवल मुद्दों पर भाषण दिया है। किसी पर कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाया गया है। व्यक्तिगत आलोचना करना, गाली देना, कठोर शब्द बोलना बहुत आसान है।
पार्टी में भी एक बड़ा कोरोना घुस गया
उल्लेखनीय है कि बीते बुधवार को हुई बजट पूर्व बैठक के दौरान गहलोत ने 2020 में पायलट की बगावत पर फिर निशाना साधा था। उन्होंने अधिकारियों के साथ हुई बातचीत में पायलट पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए कहा था कि मैंने मिलना शुरू किया है। पहले कोरोना आया… हमारी पार्टी में भी एक बड़ा कोरोना घुस गया। गहलोत के इस बयान को पयलट पर परोक्ष हमले के तौर पर लिया जा रहा है। सनद रहे इससे पहले अशोक गहलोत सचिन पायलट को नकारा और निकम्मा तक कह चुके हैं।
बड़ों को युवा पीढ़ी के बारे में भी सोचना चाहिए
पूर्व डिप्टी सीएम पायलट ने कहा- हमने 2013 से 2018 तक पार्टी के लिए पांच साल तक संघर्ष किया। नतीजतन पार्टी ने सरकार बनाई। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं से पूछा कि क्या मुझमें संघर्ष की कमी है। टोंक से विधायक चुने गए सचिन पायलट ने यह भी कहा कि बड़ों को युवा पीढ़ी के बारे में भी सोचना चाहिए, युवाओं को मौका मिलना चाहिए। उनके साथ न्याय होना चाहिए। भाषा, विचार और कर्म ऐसे होने चाहिए जिन पर आने वाली पीढ़ियां गर्व कर सकें।
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री का जिक्र कर दिया बड़ा संदेश
इसके साथ ही पायलट ने न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न (Jacinda Ardern) के इस्तीफे का भी जिक्र किया। पायलट (Sachin Pilot) ने कहा कि जैसिंडा आठ साल पहले पीएम बनीं लेकिन सार्वजनिक रैंकिंग में कम होने के कारण उन्होंने पद छोड़ दिया और पार्टी के लिए काम करने का फैसला किया। आज लगातार पांचवां दिन था, जब पायलट ने अपनी पार्टी की सरकार पर सवाल उठाया।
अपनी ही सरकार पर उठा रहे सवाल
बीते चार दिनों के दौरान किसान सम्मेलनों में पायलट ने पेपर लीक और पार्टी कार्यकर्ताओं के बजाय सेवानिवृत्त नौकरशाहों की राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाए हैं। गुरुवार को पायलट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि कथित भ्रष्टाचार के मामलों में पिछली भाजपा सरकार के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पायलट ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से राज्य में फिर से पार्टी की सरकार बनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा- कार्यकर्ता संकल्प लें कि इस बार भी हमें फिर से सरकार बनानी है।
BJP ने दी सीख, अपने घर में झांकें
वहीं कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान पर भाजपा तंज कसने से नहीं चूक रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पायलट की पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराने की मांग पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अजीब है कि दोनों बड़े नेता (पायलट और गहलोत) विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। सरकार तो कांग्रेस की ही है। मुद्दे भी वही हैं जिन पर उनको काम करने की जरूरत है।