कर्नाटक में जीत को साधने निकली कांग्रेस, मगर अतिरिक्त वोट जोड़ना है जरूरी
कर्नाटक
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी हैं। पार्टी जीत के लिए समाज के हर वर्ग को जोड़ने की कोशिश कर रही है। क्योंकि, परंपरागत वोट से अलग अन्य समुदायों को साथ जोड़े बिना उसकी जीत मुमकिन नहीं हो पाएगी। कांग्रेस ने महिलाओं का भरोसा जीतने के लिए हर महिला को दो हजार रुपए प्रतिमाह देने का वादा किया है। इसके लिए पार्टी ने बाकायदा रजिस्ट्रेशन भी शुरू कर दिया है। साथ ही दलित और आदिवासियों को भी विश्वास में लेने के प्रयास जारी हैं। प्रदेश के जातीय समीकरणों में 17 फीसदी लिंगायत और 16 प्रतिशत वोक्कालिगा अहम भूमिका निभाते हैं। ये दोनों समुदाय सौ से ज्यादा विधानसभा सीट पर हार-जीत का फैसला करते हैं। लिंगायत अमूमन भाजपा समर्थक हैं। जबकि, वोक्कालिगा जद (एस) के प्रति वफादार माने जाते हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस 113 के जादुई आंकड़े को तभी पार कर पाई है, जब विपक्ष के मतों का विभाजन हुआ। वर्ष 1989 में जनता पार्टी में विभाजन के बाद 44 फीसदी वोट के साथ कांग्रेस ने 178 सीट जीती थीं। इसके बाद 1999 में जद (एस) बनने के बाद पार्टी सत्ता में पहुंची। वर्ष 2013 में पार्टी को बीएस येदियुरप्पा के भाजपा से अलग होने का फायदा मिला। जब पार्टी ने 36 फीसदी वोट के साथ 122 सीट जीती थीं। येदियुरप्पा के अलग होने पर भाजपा का वोट प्रतिशत गिरकर सिर्फ 20 फीसदी रह गया था। इस हार के बाद येदियुरप्पा की भाजपा में वापसी हुई और वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत 20 से बढ़कर 43 फीसदी हो गया और भाजपा ने 28 में से 17 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की।
कांग्रेस का वोट प्रतिशत 35 से 40 के बीच रहा
कर्नाटक में करीब 20 वर्षों से कांग्रेस का वोट प्रतिशत 35 से 40 के बीच रहा है। ऐसे में पार्टी के लिए परंपरागत मतों के अलावा अतिरिक्त वोट हासिल किए बगैर जादुई आंकड़ा हासिल करना आसान नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का ताल्लुक कर्नाटक से है। प्रदेश में करीब 20 फीसदी दलित हैं और 35 सीट आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में दलित मतदाताओं ने भाजपा का समर्थन किया था। भाजपा को इस समुदाय का 40 फीसदी वोट मिला था। अनुसूचित जनजाति यहां सात फीसदी है और उसके लिए 15 सीट आरक्षित हैं।
आदिवासियों में पैठ बनानी होगी
वर्ष 2018 में राज्य के आदिवासी समुदाय का 44 फीसदी वोट भाजपा को मिला है। जबकि, कांग्रेस को 29 प्रतिशत और जद (एस) को 16 फीसदी वोट मिले थे। पार्टी को भरोसा है कि खड़गे का गृह प्रदेश होने की वजह से चुनाव में दलित और आदिवासी मतदाता कांग्रेस को वोट करेंगे। इससे पार्टी के वोट प्रतिशत में इजाफा होगा। इसी तरह प्रदेश में मुस्लिम समुदाय करीब 14 फीसदी है। इस समुदाय की पहली पसंद कांग्रेस रही है। पिछले चुनाव में पार्टी को मुस्लिम समुदाय के 78 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, एआईएमआईएम के समर्थन के बावजूद जद (एस) को 18 प्रतिशत वोट ही मिले थे।
भारत जोड़ो यात्रा से उम्मीद जगी
कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा को मिले समर्थन से भी उत्साहित है। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की अगुवाई में यात्रा भाजपा और जद (एस) के प्रभाव वाले क्षेत्रों से गुजरी थी। ऐसे में पार्टी को भरोसा है कि विधानसभा चुनाव में वोक्कालिगा समुदाय कांग्रेस को वोट कर सकता है।