शिवसेना चुनाव चिह्न विवाद मामला: दोनों गुटों की दलीलें पूरी, 30 जनवरी के बाद आ सकता है EC का फैसला
नई दिल्ली
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुटों ने शुक्रवार को निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कर लीं। दोनों गुटों ने जोर देकर कहा कि वे ही असली शिवसेना हैं। सूत्रों के मुताबिक, सुनवाई के अंत में आयोग ने कहा कि अगर कोई अभिवेदन हो तो दोनों पक्ष 30 जनवरी तक लिखित में यह प्रस्तुत कर सकते हैं। दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे का समर्थन करने के लिए निर्वाचन आयोग को हजारों दस्तावेज जमा किए और शुक्रवार सहित तीन मौकों पर इसके समक्ष अपने संबंधित मामलों पर बहस की।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को गिराने के बाद शिंदे पिछले साल जून में भाजपा के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। तब से, शिवसेना के शिंदे और ठाकरे गुटों में संगठन पर नियंत्रण की लड़ाई चल रही है। पिछले साल नवंबर में निर्वाचन आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपने दावे के समर्थन में नए दस्तावेज जमा करें। आयोग ने उनसे जमा किए गए दस्तावेजों को आपस में आदान-प्रदान करने को भी कहा था।
यहां समझिए पूरा विवाद
अक्टूबर में एक अंतरिम आदेश में, आयोग ने दोनों गुटों को पार्टी के नाम या उसके धनुष और तीर चिह्न का उपयोग करने से रोक दिया था। बाद में, इसने ठाकरे गुट को 'शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे' और शिंदे गुट को 'बालासाहेबंची शिवसेना' (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया था। आयोग ने कहा था कि अंतरिम आदेश विवाद के अंतिम समाधान तक लागू रहेगा। शिंदे ने शिवसेना के 56 में से 40 विधायकों और इसके 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 के समर्थन का दावा करते हुए ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में ठाकरे के इस्तीफे के बाद, शिंदे को भाजपा के समर्थन से शीर्ष पद पर नियुक्त किया गया था। इससे पहले आज शिंदे ने कहा कि निर्वाचन आयोग कानून और मौजूदा नियमों के अनुसार शिवसेना के चुनाव चिह्न धनुष और तीर के बारे में अपना निर्णय देगा। नई दिल्ली में निर्वाचन आयोग के समक्ष मामले में चल रही सुनवाई के बारे में पूछे जाने पर शिंदे ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि निर्णय कानून और नियमों के अनुसार होगा।'