October 2, 2024

बलरामपुर के सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में मिले टाइगर होने के प्रमाण, कैमरे में दिखे तीन बाघ

0

 बलरामपुर

बलरामपुर के सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग में टाइगर की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह खबर सोहेलवा को उसका स्वर्णिम इतिहास वापस दिला सकती है। अब तक माना जाता था कि सोहेलवा से टाइगर विलुप्त हो गए हैं। कई दशकों से इसकी मौजूदगी दर्ज नहीं की गई थी। टाइगर के सोहेलवा में मौजूद होने की पुष्टि प्रभाग में लगाए गए कैमरा ट्रैपिंग से हुई है। ये कैमरे वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने लगाए थे। इन कैमरों में तीन टाइगर दिखे हैं। टाइगर की मौजूदगी का पता चलने से वन अधिकारी काफी उत्साहित हैं। प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. सेम्मारन का कहना है कि आने वाले समय में टाइगर की संख्या में और भी बढ़ोत्तरी होगी।

सोहेलवा का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है। एक समय इसे रॉयल बंगाल टाइगर का प्राकृतिक वास माना जाता था। दूर-दूर से लोग सोहेलवा घूमने के लिए आते थे। सोहेलवा में पाए जाने वाले बड़े-बडे़ जलाशय और यहां की जैव विविधता बड़े मांसाहारी जानवरों के लिए बेहद उपयुक्त है। यहां टाइगर और तेंदुओं के भोजन हिरन जैसे शाकाहारी जीवों की भी संख्या काफी अधिक है। अधिक गर्मी होने पर भी जीवों के लिए साल भर पानी की उपलब्धता इस वन्य जीव प्रभाग में बनी रहती है। 452 वर्ग किलोमीटर में फैले इस वन्य जीव प्रभाग में टाइगर अपनी टेरेटरी बनाकर आसानी से रह सकते हैं। 

वन्यजीव विशेषज्ञ बताते हैं कि वयस्क टाइगर की अपना निर्धारित क्षेत्र होता है जो कई किलोमीटर का हो सकता है। ऐसे में टाइगर की अधिक संख्या के लिए वन क्षेत्र का क्षेत्रफल अधिक होना आवश्यक है। बाघ के लिए सब कुछ उपयुक्त होने के बावजूद इसे खाल व हड्डियों के लिए किए गए अंधाधुंध शिकार के कारण धीरे धीरे टाइगर की संख्या बेहद कम होती चली गई। नेपाल में हुए जंगलों की कटान के कारण नेपाल से भारत के सोहेलवा जंगल में आने जाने वाले बाघों को भी सघन जंगल का रास्ता नहीं मिल पाता है। स्थिति यह हुई कि पिछले कुछ दशकों से यह माना जाने लगा कि सोहेलवा में टाइगर का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। कई सालों से सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग में कैमरा ट्रैपिंग कार्य कराए जाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। 

एक महीने में पूरा हुआ कैमरा ट्रैपिंग का काम

डीएफओ डॉ. एम. सेम्मारन के पहल पर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(डब्लूआईआई) ने सोहेलवा के सभी रेंज में करीब तीन सौ कैमरे लगाए थे। जिसमें उत्साहित करने वाले परिणाम मिले। बलरामपुर जिले में पड़ने वाले सोहेलवा वन क्षेत्र में टाइगर के मौजूद होने के प्रमाण मिले हैं। कैमरे में बहुत अधिक संख्या में तेंदुए के मौजूदगी भी दिखी है। जानकार मानते हैं कि जिस क्षेत्र में बाघ सक्रिय होते हैं वहां तेंदुए नहीं दिखते। डब्लूआईआई ने सोहेलवा के आधा दर्जन से अधिक रेंज में करीब तीन सौ कैमरे लगाए थे। इस कार्य में डब्लूआईआई को करीब एक माह का समय लगा है। 

डब्लूआईआई के अधिकारियों को भी इस बात की उम्मीद काफी कम थी कि सोहेलवा में टाइगर के मौजूद होने के प्रमाण मिलेंगे। कैमरे को उतारने के बाद उसमें रिकार्ड हुए फुटेज का अवलोकन करने पर टाइगर होने के प्रमाण मिले। डब्लूआईआई पूरे कैमरा ट्रैपिंग की रिपोर्ट मार्च से अप्रैल माह में प्रस्तुत करेगी।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed