कभी हाथों में थी बंदूक, आज तिरंगा लहरा रहा; J&K के पूर्व आतंकी की कहानी
श्रीनगर
कभी जिन हाथों में खतरनाक हथियार होते थे, वहां अब शान से तिरंगा लहरा रहा है। यह कहानी जम्मू और कश्मीर की है, जहां एक पुराना दहशतगर्द शेर खान गणतंत्र दिवस की खुशी मना रहा है। हालांकि, आतंकी बनने और वहां से वापसी की राह इतनी आसान नहीं थी। बंदूक से तिरंगे तक का सफर खान ने लगभग दो दशकों में तय किया है।
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में मौजूद सेगड़ी भाटा गांव में एक पुराने आतंकी ने बुधवार शाम यानी गणतंत्र दिवस से पहले अपने घर पर तिरंगा लगाया। हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी (HUJI) से पहले जुड़ा खान जिले का साल 1998 से 2006 के बीच खूंखार नाम था। हालांकि, उसने बाद में सरेंडर किया और 13 सालों तक जेल काटने के बाद रास्ता बदल लिया।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उसने कहा, '20 साल की उम्र में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था और जुड़ने के लिए मजबूर किया गया।' आगे बताया, 'पहला मौका मिलते ही 6 अन्य लोगों के साथ अवंतीपोरा में सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया।'
फिलहाल, वह अपनी दूसरी पत्नी और 19 और 17 वर्षीय दो बेटियों के साथ रह रहा है। पहली पत्नी एक बेटे के साथ अलग रहती है। खान आतंकियों के तौर पर अपने गुजारों पर दुख जाहिर करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें गलत रास्ते पर गुमराह किया गया था और इसका एहसास होते ही सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर किया और मुख्यधारा में जुड़ गए।