कर्तव्य पथ पर परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने दी सलामी, 15 गोली खाकर भी लहराया था तिरंगा
नई दिल्ली
1999 में करगिल युद्ध में अपनी वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित योगेंद्र यादव भी इस बार कर्तव्य पथ की परेड में शामिल हुए। उनको देखते ही वहां मौजूद लोगों में जोश भर गया और वे तालियां बजाने लगे। वह अपने साथी परमवीर चक्र विजेता ऑनरेरी कैप्टन बाना सिंह और परमवीर चक्र विजेता नायक सूबेदार संजय कुमार के साथ महामहिम को सलामी दे रहे थे। करगिल युद्ध में योगेंद्र यादव दुश्मनों पर कहर बनकर टूटे थे। उन्होंने दर्जोनों को मौत के घाट उतार दिया था और अपने शरीर पर 15 गोलियां खाकर भी तिरंगा फहरा दिया था।
उनकी वीरता के लिए सरकार ने उन्हें सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा। बता दें कि उनके पिता भी फौज में थे और उन्होंने 1965 और 1971 का युद्ध लड़ा था। योगेंद्र यादव का जन्म 10 मई 1980 को यूपी के औरंगाबाद अहीर गांव में हुआ था। जानने योग्य बात यह भी है कि 21 परमवीर चक्र विजेताओं में से चार उत्तर प्रदेश से हैं। इस बार अंडमान निकोबार के द्वीप INAN 193 का नाम ग्रेनेडियर योगेंद्र कुमार यादव के नाम पर रखा गया है। इसी तरह से कैप्टन मनोज पांडेय, क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद और नायक जदुनाथ सिंह के नाम पर भी द्वीपों का नाम रखा गया है।
शादी के बाद तुरंत युद्ध में जाना पड़ा था
ग्रेनेडियर योगेंद्र कुमार यादव अब गाजियाबाद में रहते हैं। 16 साल 5 महीने की ही उम्र में वह सेना में भर्ती हो गए थे। करगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान वह घातक प्लाटून के सदस्य थे। उन्हें टाइगर हिल पर कब्जा करने का जिम्मा दिया गया था। इस युद्ध में उन्होंने अपनी बहादुरी दिखाई। दुश्मनों की गोलीबारी के बीच भी वह ऊंची पहाड़ी पर चढ़ गए और पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर करक तिरंगा लहरा दिया। इस दौरान उनको 15 गोलियां लगीं। 19 साल की ही उम्र में उन्हें परमवीर चक्र से नावाज गया था।
योगेंद्र यादव के मुताबिक शादी के 15 दिन बाद ही उन्हें युद्ध के लिए बुला लिया गया था। युद्ध की वजह से उनकी छुट्टी रद्द कर दी गई थी। इसके बाद उन्हें द्रास सेक्टर में भेज दिया गया। उनके ज्यादातर साथी शहीद हो गए थे लेकिन योगेंद्र यादव के मन में सिर्फ तिरंगा लहराने का ही जोश था। योगेंद्र यादव ने गोलियां दागकर पाक के कई बंकर तबाह कर दिए। पाक्सितानी ग्रेनेड फेंक रहे थे। जब उनकी टुकड़ी में बहुत कम लोग बचे तो प्लान बना कि फायरिंग को रोका जाए और इंतजार किया जाए। इसपर दुश्मनों को लगा कि पूरी बटालियन ही खत्म हो गई। पाकिस्तानी सुस्त पड़ गए। तभी योगेंद्र यादव ने अपने साथियों के साथ हमला कर दिया। योगेंद्र यादव भी खून से लथपथ थे और उनके पैर की हड्डी टूट गई थी।
मरने का किया नाटक
जब दुश्मन सेना उनके पास पहुंची तो उन्होंने नाटक किया कि वह मर गए हैं। इसके बाद फिर से यादव ने उनपर हमला कर दिया। वह इतना घायल हो गए थे कि भारतीय सैनिकों को भी लगा कि योगेंद्र यादव शहीद हो गए लेकिन बाद में वह फिर से खिसककर चलने लगे। उन्होंने पाकिस्तानी टुकड़ी की पूरी जानकारी नीचे आकर दी। इसके बाद भारतीय सेना की टुकड़ी ने दोगुने जोश से हमला कर दिया और पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर तिरंगा लहरा दिया। साल 2022 में योगेंद्र यादव रिटायर हुए। 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्हें मानद कैप्टन की उपाधि से सम्मानित किया गया।