जानिए इसका अर्थ -गौतम बुद्ध ने क्यों कहा हर पुरुष की 4 पत्नियां और हर स्त्री के 4 पति होनी चाहिए
भगवान गौतम बुद्ध को विश्व के प्राचीनतम धर्मों में एक बौद्ध धर्म का प्रवर्तक माना गया है. उनके अनमोल विचारों से जीवन की दशा और दिशा बदल जाती और नई प्रेरणा मिलती है. लोग उनके उपदेशों और विचारों को ग्रहण कर उसका पालन करते हैं.
लेकिन गौतम बुद्ध के कई विचारों में एक है 4 पति-पत्नी होने से जुड़े विचार, जिसे जानकर आप चकित रह जाएंगे. गौतम बुद्ध के अनुसार, हर पुरुष की चार पत्नियां और हर स्त्री के चार पति होने चाहिए. लेकिन आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा और इसके पीछे का कारण क्या है, इसका जवाब आपको इस कहानी में मिलेगा.
गौतम बुद्ध द्वारा सुनाई कहानी
एक व्यक्ति की चार पत्नियां थीं. उस दौर में पुरुषों को एक से अधिक पत्नियां रखने का अधिकार प्राप्त था. व्यक्ति का जीवन अपनी पत्नियों के साथ अच्छा चल रहा था. लेकिन कुछ समय बाद व्यक्ति शारीरिक परेशानियों से घिर गया और काफी बीमार पड़ गया. बीमारी इतनी जटिल थी कि, ठीक होने के बजाय दिन-व-दिन स्थिति खराब होती जा रही थी. अपनी हालत देख व्यक्ति को यह समझ आ गया था कि उसकी मृत्यु का समय नजदीक है. इसे लेकर वह उदास रहने लगा.
पहली पत्नी का जवाब
एक दिन उसने पहली पत्नी से कहा- प्रिय, मेरी मृत्यु नजदीक है, मैं जल्द ही अपने शरीर का त्यागकर संसार से मुक्त हो जाऊंगा. लेकिन मैं अकेले नहीं जाना चाहता हूं. मैंने हमेशा तुमसे प्रेम किया और आज भी करता हूं. क्या तुम मेरे मृत्यु के बाद मेरे साथ चलोगी?. यह सुनते ही पत्नी खामोश हो गई और अंत में उसने हिम्मत जुटाते हुए पति से कहा- स्वामी, मैं जानती हूं कि आप मुझसे बहुत प्रेम करते हैं और मैं भी आपसे उतना ही प्रेम करती हूं. लेकिन आपकी मृत्यु के साथ हमारे अलग होने का भी समय आ गया. यह कहते हुए पहली पत्नी ने मृत्यु के बाद उसके साथ चलने से इंकार कर दिया.
दूसरी पत्नी का जवाब
इसके बाद व्यक्ति अपनी दूसरी पत्नी के पास जाकर उससे भी यही प्रश्न पूछते हुए कहता है- क्या तुम मृत्यु के बाद मेरे साथ चलोगी?. जवाब में दूसरी पत्नी कहती है- जब आपकी पहली पत्नी ने ही आपके साथ जाने से इंकार कर दिया तो मैं आपके साथ कैसे जा सकती हूं. यह कहते हुए वह भी उसके पास से चली जाती है.
तीसरी पत्नी का जवाब
व्यक्ति की मौत अब बेहद करीब रहती है और वह मृत्यु के बाद अकेले होने के कारण उदास मन से तीसरी पत्नी को बुलाकर भी यही प्रश्न करता है. तीसरी पत्नी भी मृत्यु के बाद उसके साथ जाने से इंकार कर देती है.
चौथी पत्नी का जवाब
मृत्यु को और करीब पाकर अब व्यक्ति की सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी होती है और अंत में वह अपनी चौथी पत्नी को बुलाता है और हिमम्त जुटाकर वही प्रश्न पूछता है जो उसने अपनी तीन पत्नियों से पूछे थे. व्यक्ति कहता है- मैं मरने के बाद जहां भी जाऊंगा, क्या तुम भी मेरे साथ वहां चलोगी? तब चौथी पत्नी कहती है- स्वामी, मैं आपके साथ जरूर चलूंगी. आप जहां भी जाएंगे मैं भी आपके साथ चलूंगी और आपका साथ दूंगी. क्योंकि मैं खुद भी आपसे दूर नहीं रह सकती.
कहानी का सार और सीख
कहानी को सुनाते हुए गौतम बुद्ध अंत में कहते हैं, हर पुरुष और महिला के पास चार पत्नियां और चार पति जरूर होने चाहिए. यह इसलिए क्योंकि उसे भी चौथी बार में ‘हां’ सुनने को मिले. हालांकि कहानी में बताए चार पति और पत्नी का तात्पर्य यहां गौतम बुद्ध ने जीवन के पहलू को बताया है.
गौतम बुद्ध के अनुसार, इस कहानी में पहली पत्नी हमारा ‘शरीर’ है. जो मृत्यु के बाद हमारे साथ नहीं जा सकती. इसलिए मृत्यु के बाद शरीर को जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है.
दूसरी पत्नी है हमारा ‘भाग्य’ है. मृत्यु के बाद हमारा भाग्य भी यहीं छूट जाता है और हम उसे साथ नहीं लेकर जा सकते हैं.
तीसरी पत्नी का संबंध ‘रिश्तों’ से है. मृत्यु के बाद रिश्ते-नाते सभी यहीं छूट जाते हैं और हम चाहकर भी इसे अपने साथ नहीं लेकर जा सकते हैं.
कहानी में चौथी पत्नी जोकि साथ जाने के लिए तैयार हो जाती है. इसका संबंध हमारे ‘कर्म’ से है. कर्म ही एकमात्र ऐसी चीज है जो मृत्यु के बाद हमारे साथ जाती है. कर्म ही वह चीज है, जिससे हमारे पाप-पुण्य का लेखा जोखा होता है और मृत्यु के बाद हमारी आत्मा को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है.