सरकार जीएसटी में रजिस्टर्ड व्यापारियों को दस लाख का सुरक्षा बीमा दें: गोपाल मोर
भोपाल
देश एवं मध्यप्रदेश के सभी व्यापारियों को प्रधानमंत्री व्यापारी मानधन योजना का लाभ लेना चाहिए। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल का प्रयास है कि देश के सभी व्यापारियों तक इस योजना का लाभ पहुंच सके। यह बात इंदौर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महामंत्री गोपाल मोर ने कही।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री व्यापारी मानधन योजना में अब तक सिर्फ केन्द्र सरकार की सहभागिता है, मतलब इस योजना का लाभ लेने के लिए जमा किए जाने वाले प्रीमियम राशि का 50 फीसदी केन्द्र सरकार और 50 फीसदी राशि व्यापारी को जमा करनी होती है लेकिन भारतीय उद्योग व्यापार मंडल देश की सभी राज्य सरकारों से मिल कर यह सामंजस्य बैठाने का प्रयास कर रहा है कि प्रधानमंत्री व्यापारी मानधन योजना के अंर्तगत प्रीमियम की 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार भरती है, वहीं 50 फीसदी प्रीमियम राशि जो व्यापारी भरता है, वह राशि राज्य सरकारें भरें।
मोर ने बताया कि जिस तरह केन्द्र एवं राज्य सरकारें व्यापारी से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) वसूलती हैं, उसी तरह ही उन्हें प्रधानमंत्री व्यापारी मानधन योजना में भी अपनी सहभागिता निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के साथ देश भर के 10 करोड़ से ज्यादा छोटे-बड़े व्यापारी जुड़े हुए हैं। हमारा लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा व्यापारियों को प्रधानमंत्री व्यापारी मानधन योजना का लाभ दिला पाएं। इसी कड़ी में हम प्रयास कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश का हर व्यापारी इस योजना लाभ ले पाएं। मोर ने कहा कि जब 2019 में जब यह योजना लागू की गई थी, तब इस योजना में शामिल व्यापारियों को 60 वर्ष की उम्र होने के बाद 3 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन का प्रावधान है। अब हमारी मांग है कि बढ़ती मंहगाई दर के अनुपात में ही पेंशन की राशि भी बढ़ाई जाए।
मोर ने आगे बोलते हुए कहा कि देश की अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने में छोटे एवं लघु व्यापारियों का बड़ा योगदान है लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह व्यापारी केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का समुचित लाभ नहीं ले पाते हैं। उन्होंने कहा कि व्यापारियों के हितों को संरक्षित एवं सुरक्षित करने के लिए हम सभी प्रदेश सरकारों से मांग कर रहे हैं कि हर राज्य में व्यापारी कल्याण आयोग का गठन किया जाए। मोर ने बताया कि उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की प्रदेश सरकारों ने व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन भी किया है, मगर यह बोर्ड अधिकार एवं साधन विहीन होने के कारण व्यापारी कल्याण में अपनी प्रभावी भूमिका का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए बोर्ड के स्थान पर व्यापारी कल्याण आयोग बनाया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में व्यापार दिवस के मौके पर केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से हमारी चर्चा हुई है। मोर ने केन्द्र एवं राज्य सरकारों से अपनी अन्य मांगों के बारे में बताते हुए कि हमारी अन्य प्रमुख मांगों में कर प्रक्रिया का अधिक से अधिक सरलीकरण किया जाना, किसी भी तरह का कर संबंधी वाद-विवाद का तुरंत निपटारा किया जाना, प्रदेश सरकारों द्वारा लगाए गए मंडी शुल्क में एकरूपता लाना है।
उन्होंने कहा कि हमारी एक अन्य बड़ी मांग है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरह ही अन्य राज्य सरकारें भी जी.एस.टी के अंतर्गत रजिस्टर्ड उद्यमी, व्यापारी के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना (एक्सीडेन्ट, आपराधिक वारदात में हत्या, पूर्ण विकलांगता, आपदा आदि) में मृत्यु होने पर व्यापारी दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता/बीमा दिया जाए। संस्था के प्रदेश अध्यक्ष दीपक भंडारी ने बताया की किसानों की तरह उद्योगपति एवं व्यापारियों को भी क्रेडिट कार्ड मिलना चाहिए एवं 60 साल की अवधि पूर्ण करने के उपरांत पेंशन भी मिलना चाहिए ताकि जो लोग पूरी जिंदगी भर सरकार को टैक्स भरते हैं सरकार वृद्धावस्था में उनके साथ खड़ी रहे।
केट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश गुप्ता ने कहा कि जीएसटी में 12 सौ से अधिक अमेंडमेंट हो चुके हैं अत: इस के बायलॉज का पुन: सरल शब्दों में लिख अंकित किया जाना चाहिए। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए कानूनों को आसान किया जाना चाहिए एवं कृषि को प्रायरिटी सेक्टर मानकर लैंड अलॉटमेंट के नियम सरल होने चाहिए। फूड आधारित उद्योगों को अधिक सहायता की जानी चाहिए। किसानों के बच्चे यदि उद्योगों में आना चाहे तो उन्हें भी सब्सिडी मिलनी चाहिए। डेढ़ सौ से ज्यादा व्यापारियों की उपस्थिति में सुरेंद्र डाकलिया, राजेश अग्रवाल, संजय आहूजा, अरुण पटेल, रविकांत द्विवेदी, विष्णु गोयल, आनंद राय, कुमार विक्रम वाडनेरे, असीम जोशी, रामकुमार नीलेश जैन, संजय गोविल आदि ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन जितेंद्र रामनानी ने किया एवं आभार संजय आहूजा ने माना।