वायु़सेना ने सुखोई-30 और मिराज-2000 हादसे के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी शुरू
ग्वालियर
सुखोई-30 और मिराज-2000 के प्रैक्टिस उड़ान के दौरान टकराने का कारण दूसरे दिन भी पता नहीं चल सका। वायु़सेना ने हादसे के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी शुरू की है। टीम मुरैना के इश्वरा महादेव पहाड़ी पर डेरा डाले हुए है। रविवार को भी दिल्ली और ग्वालियर से वायुसेना के अफसरों की टीम पहुंची।
महादेव पहाड़ी पर मिराज का ब्लैक बॉक्स तो मिल चुका है, लेकिन सुखोई का बॉक्स नहीं मिल पाया है। जांच के दौरान पुलिस और स्थानीय प्रशासन को घटनास्थल से दूर रखा गया। वायुसेना के करीब 150 से ज्यादा जवान पहाड़ी के 1 किमी हिस्से में डेरा डाले हुए हैं। ड्रोन की मदद से जंगल में सर्च किया जा रहा है। पहाड़ी पर करीब डेढ़ किलोमीटर पहले पुलिस ने रास्तों पर बेरीकेडिंग कर दी है। वहीं सर्चिंग के दौरान ब्लैक बॉक्स सहित शहीद पायलट हनुमंतराव सारथी का पर्स और कुछ सामान मिला है।
यह है मामला
दरअसल ग्वालियर एयरबेस से शनिवार सुबह 9.30 बजे प्रैक्टिस उड़ान पर निकले सुखोई और मिराज मुरैना के रामपुर गांव में टकरा गए थे। मिराज रामपुर से सटे इश्वरा महादेव पहाड़ी पर क्रैश हुआ था, जबकि सुखोई 90 किमी दूर भरतपुर में क्रैश हुआ था। हादसे में मिराज के पायलट हनुमंत राव सारथी की मौत हो गई थी।
इस हादसे के संबंध में शनिवार तक जो जानकारी सामने आ रही थी उसके मुताबिक सुखोई विमान का बेस ग्वालियर में नहीं है। ऐसे में ये भी सवाल है कि क्या ये विमान यहां पर ट्रेनिंग के लिए आया था। मिराज 2000 वही विमान है जिसका इस्तेमाल बालाकोट हमले में एयरस्ट्राइक के दौरान किया गया था। इसके साथ सुखोई इसे गार्ड करते हुए चल रहा था। ऐसे में ये आशंका जताई जा रही है कि वो सकता है इस बार भी सुखोई यहां पर ट्रेनिंग के हिस्से के रूप में आया हो।
वहीं ये बात भी सामने आ रही थी कि इस हादसे में दोनों विमानों के पायलटों ने बहादुरी दिखाते हुए कई लोगों की जान बचाई। जहां प्लेन गिरा है उसके पास ही एक कस्बा था जिसके ऊपर से ही जलता हुआ प्लेन गुजरा था। पायलटों बहादुरी दिखाते हुए प्लेन को कस्बे से बाहर जंगल के इलाके तक ले गए, वरना कस्बे पर प्लेन गिरता तो कई लोगों को जान जा सकती थी।